ऐसी पुण्यात्मा का दर्शन जरूर करें
नई दिल्ली, 11 जनवरी 2025
महाकुंभ 2025 से पहले विवादित बयान देने वाले सांसद और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने करारा जवाब दिया है। चंद्रशेखर ने अपने बयान में कहा था कि “महाकुंभ में वही लोग जाते हैं जिन्होंने पाप किए हैं।” इस पर धार्मिक समुदायों और संत समाज में आक्रोश व्याप्त है।
चंद्रशेखर का बयान
महाकुंभ 2025 को लेकर चंद्रशेखर आजाद ने कहा था, “महाकुंभ में वे लोग जाएंगे जिन्होंने पाप किए हैं। कुंभ मेले में लोग अपने पाप धोने जाते हैं।” उनके इस बयान ने महाकुंभ की धार्मिक पवित्रता और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
शंकराचार्य का तीखा पलटवार
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने एएनआई से बातचीत में कहा, “तो उनका मतलब यह है कि महाकुंभ में केवल पापी ही आते हैं? क्या वे महाकुंभ में आए हैं? यदि वे पूर्ण रूप से निष्पाप हैं, तो ऐसी पुण्यात्मा का दर्शन अवश्य करना चाहिए।”
शंकराचार्य ने आगे कहा, “हम अपनी आस्था की वजह से महाकुंभ में आए हैं। यह हमारी श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है। इससे किसी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। महाकुंभ जैसे आयोजन सनातन धर्म और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।”
सनातन धर्म पर जोर
शंकराचार्य ने कहा, “सनातन धर्म को समझना हर किसी के बस की बात नहीं है। इसके अंतर्गत होने वाले आयोजनों और उनके महत्व को वही समझ सकता है जो इस धर्म की गहराई से समझ रखता हो। जिन लोगों को सनातन की जानकारी नहीं है, उन्हें ऐसे बयान देने से बचना चाहिए।”
महाकुंभ 2025 और आस्था का प्रतीक
महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व है, जिसे धर्म, आस्था और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। यह आयोजन हर 12 साल में चार प्रमुख तीर्थस्थलों – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक – पर होता है। इस बार महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है।
महाकुंभ में श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। इसके साथ ही यह आयोजन संतों, महात्माओं और श्रद्धालुओं के मिलन का भी महत्वपूर्ण अवसर होता है।
सांसद चंद्रशेखर की आलोचना
चंद्रशेखर आजाद का बयान न केवल धार्मिक समुदायों बल्कि आम जनता के बीच भी आलोचना का कारण बन रहा है। महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन पर विवादित बयान देकर उन्होंने श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
जगद्गुरु का आह्वान
शंकराचार्य ने कहा, “यदि चंद्रशेखर खुद को पूर्ण निष्पाप मानते हैं, तो उन्हें सामने आना चाहिए और पुण्यात्मा के रूप में दर्शन देना चाहिए। यह महाकुंभ की पवित्रता का सम्मान होगा।”
आस्था के पर्व की पवित्रता बनाए रखें
जगद्गुरु ने महाकुंभ के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल पापों से मुक्ति का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और धार्मिक एकता का पर्व है। उन्होंने सभी से आस्था और विश्वास को बनाए रखने की अपील की।
चंद्रशेखर आजाद के बयान ने जहां विवाद खड़ा किया, वहीं शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज की प्रतिक्रिया ने सनातन धर्म और महाकुंभ की गरिमा को पुनर्स्थापित किया है। महाकुंभ जैसे आयोजन भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं, और इन पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक टिप्पणी से बचना चाहिए।