
झुंड सराय गांव के ग्रामीणों में गुस्सा।
बिल्डर ने भी दवा किया।
गुरुग्राम, 21 जनवरी 2025: देश की राजधानी दिल्ली के समीप हरियाणा के गुरुग्राम जिले के झुंड सराय गांव में एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसमें सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का आरोप है । यह मामला विशेष रूप से 28 एकड़ गोचर भूमि को लेकर है, जिस पर एक बिल्डर ने अधिकारियों के साथ मिलकर कब्जा कर लिया।
पशुओं के लिए चारा लेने और घास चरने के लिए करते थे,सरपंच अनिल यादव
गांव झुंड सराय के सरपंच अनिल यादव ने खुलासा करते हुए बताया कि यह भूमि पहले ग्राम पंचायत की थी और अब नगर निगम के अधीन आती है। इस भूमि का उपयोग गांव के लोग अपने पशुओं के लिए चारा लेने और घास चरने के लिए करते थे, लेकिन हाल ही में अधिकारियों की मिलीभगत से एक बिल्डर ने इस भूमि पर कब्जा कर लिया। सरपंच ने बताया कि कुछ ईमानदार अधिकारियों ने इस कब्जे को रोकने की कोशिश की, लेकिन बाद में एक अधिकारी ने बिल्डर के साथ मिलकर यह भूमि उसे दे दी।
बताया जा रहा है कि यह भूमि करीब 90 करोड़ रुपये मूल्य की है और इस पर बिल्डर ने अपनी निर्माण गतिविधियों को शुरू कर दिया था। इस भूमि के कब्जे को लेकर अब गांव के लोग विरोध कर रहे हैं। गांव के एक अन्य निवासी राजेश कुमार का कहना है कि इस भूमि के साथ गांव के अन्य क्षेत्रों की भूमि भी जुड़ी हुई है, और बिल्डर ने मिलकर अधिकारियों के साथ इस भूमि पर कब्जा कर लिया था। ग्रामीणों ने शुरुआत में बिल्डर को खदेड़ने में सफलता प्राप्त की थी, लेकिन अब बिल्डर ने मानेसर नगर निगम और कुछ ग्रामीणों के खिलाफ अदालत में नोटिस भेज दिए हैं।
चाहे इसके लिए उन्हें अपनी जान ही क्यों न गवानी पड़े।
ग्रामीणों का कहना है कि यह भूमि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस पर उनका जीना-खाना और पशुओं के लिए चारा उपलब्ध था। महिलाएं और अन्य ग्रामीण इस भूमि के कब्जे के खिलाफ विरोध में सामने आए हैं। महिलाओं ने यह साफ कहा कि वे इस भूमि पर कब्जा नहीं होने देंगे, चाहे इसके लिए उन्हें अपनी जान ही क्यों न गवानी पड़े।
इस विवाद को लेकर मानेसर नगर निगम ने कार्रवाई की है और भूमि को बिल्डर के कब्जे से मुक्त कराया। इसके बाद, नगर निगम ने इस भूमि के चारों ओर फेंसिंग कराई और सीसीटीवी कैमरे लगाए, ताकि कोई भी व्यक्ति इस भूमि पर प्रवेश न कर सके। इसके अलावा, भूमि के चारों ओर बोर्ड भी लगाए गए हैं, जिनमें यह साफ तौर पर लिखा है कि यह भूमि नगर निगम की है और किसी और की नहीं।
सरकारी भूमि के अवैध कब्जे और अधिकारियों की मिलीभगत का बड़ा उदाहरण
अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर किस अधिकारी ने बिल्डर को यह भूमि सौंपने का आदेश दिया और उस अधिकारी को किसके इशारे पर यह निर्णय लिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों और बिल्डरों के बीच गहरी सांठगांठ है, जो खुलेआम सरकारी भूमि पर कब्जा करने का खेल खेल रहे हैं। ग्रामीण अब इस कब्जे के खिलाफ अदालत में लड़ाई लड़ रहे हैं और इस भूमि को वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
खुलेआम सरकारी भूमि पर कब्जा करने का खेल खेल रहे हैं।
यह मामला अब गुरुग्राम में सरकारी भूमि के अवैध कब्जे और अधिकारियों की मिलीभगत का बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है, जो यह दर्शाता है कि किस प्रकार सरकारी जमीनों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। अब यह देखना है कि इस संघर्ष का परिणाम क्या होगा, और क्या ग्रामीण अपनी भूमि को बचा पाएंगे या बिल्डर के कब्जे में चली जाएगी।
भूमि को बचा पाएंगे या बिल्डर के कब्जे में चली जाएगी।
हम आपको बता रहे हैं सरकार के अधिकारी और बिल्डर का खेल किस तरह खुलेआम गुरुग्राम में चल रहा है किसी न किसी बहाने से उनकी भूमि के बीच में आने वाली सरकारी भूमि को किस तरह दबंग कब्जा कर रहे हैं इसमें बड़े अधिकारियों का हाथ बताया जाता है। इसी गांव के राजेश कुमार का कहना है यहां पर बिल्डर ने सैकड़ो एकड़ भूमि खरीदी हुई है लेकिन उनकी जमीन के साथ गांव की गोचरे की भूमि लगाती हुई है उसे पर अधिकारियों के साथ मिलकर कब्जा कर लिया था। हरियाणा में कहावत है उल्टा चोर कोतवाल को डांटे और यह कहावत इस गांव में लागू हो रही है महिलाओं का कहना है कि इस भूमि के साथ भूमिहीन परिवारों के भी प्लॉट है जहां पर हुए अपना गुजारा कर रही है और इस भूमि पर अपने पशुओं को घास चारा से गुजरा करती थी लेकिन एक दिन ऐसा आया कि बिल्डर ने यहां पर कब्जा कर लिया ।
देखिए बिल्डर का बड़ा खेल
वहीं बिल्डर ने मानेसर नगर निगम और कुछ ग्रामीण के खिलाफ अदालत से नोटिस भिजवा दिए देखिए बिल्डर का बड़ा खेल पहले गांव की सरकारी जमीन को कब्जाया और उन ग्रामीणों को कोर्ट से नोटिस ।