दिल्ली15 फरवरी – दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने बीजेपी द्वारा लगाए गए ‘शीशमहल’ के आरोपों को लेकर विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। इससे पहले, इस मामले में नवंबर से ही CVC के निर्देश पर प्राथमिक जांच चल रही थी, लेकिन अब आयोग ने इस जांच को और विस्तार देने का निर्णय लिया है।
क्या है ‘शीशमहल’ विवाद?
बीजेपी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए अपने आधिकारिक आवास का अत्यधिक महंगे तरीके से नवीनीकरण कराया। आरोप है कि मुख्यमंत्री आवास पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, जिसे बीजेपी ने ‘शीशमहल’ नाम दिया। विपक्ष का कहना है कि आम आदमी पार्टी, जो खुद को ईमानदारी और सादगी की पार्टी बताती है, उसने जनता के पैसे का दुरुपयोग किया है।
बीजेपी नेताओं ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया और केंद्रीय एजेंसियों से इसकी जांच की मांग की। बीजेपी का आरोप है कि दिल्ली सरकार ने इस महंगे नवीनीकरण को छिपाने की कोशिश की और इसके खर्चों को पारदर्शी तरीके से प्रस्तुत नहीं किया।
CVC की विस्तृत जांच के आदेश
सूत्रों के अनुसार, CVC ने अब इस मामले की गहराई से जांच करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने संबंधित विभागों से पूरी जानकारी मांगी है, जिसमें खर्च से जुड़े दस्तावेज, टेंडर प्रक्रिया, और निर्माण कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट शामिल है। यह जांच इस बात का भी आकलन करेगी कि क्या इस पूरे नवीनीकरण कार्य में किसी तरह की अनियमितता या भ्रष्टाचार हुआ है।
इसके अलावा, CVC इस बात की भी जांच करेगी कि क्या दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया और क्या इस कार्य में सरकारी धन का अनुचित इस्तेमाल हुआ।
AAP की प्रतिक्रिया
इस मामले में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि मुख्यमंत्री आवास का नवीनीकरण सुरक्षा कारणों से किया गया था और इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। AAP नेताओं का दावा है कि बीजेपी दिल्ली सरकार की लोकप्रियता से घबराकर इस तरह की जांच करवा रही है ताकि राजनीतिक नुकसान पहुंचाया जा सके।
आगे क्या?
CVC की विस्तृत जांच के बाद अगर कोई अनियमितता पाई जाती है, तो इस मामले में आगे की कार्रवाई की जा सकती है। जांच रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय एजेंसियां भी इस मामले में हस्तक्षेप कर सकती हैं। फिलहाल, इस जांच से दिल्ली की राजनीति गरमा गई है और यह देखना दिलचस्प होगा कि CVC की रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष निकलते हैं।