
कार्यकर्ता का अपने ही पार्टी के प्रत्याशियों को हराने का प्रयास
चंडीगढ़, 25 फरवरी।
हरियाणा प्रदेश में नगर निगम चुनाव 2 मार्च को होने जा रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) इन चुनावों के लिए जोरदार प्रचार-प्रसार में जुटी हुई है। प्रदेश के मंत्री, मुख्यमंत्री और भाजपा के अन्य नेता गली-गली और मोहल्ले-मोहल्ले जाकर भाजपा के प्रत्याशियों के लिए वोट की अपील कर रहे हैं। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भाजपा के उम्मीदवार चुनावों में जीत प्राप्त करें।
निर्दलीय उम्मीदवार मेयर और पार्षद पदों पर जीत हासिल करते हैं, तो क्या
हालांकि, इस दौरान प्रदेश में एक दिलचस्प चर्चा चल रही है कि अगर निर्दलीय उम्मीदवार मेयर और पार्षद पदों पर जीत हासिल करते हैं, तो क्या हरियाणा सरकार के दरवाजे उनके लिए खुले रहेंगे या बंद रहेंगे? यह चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि भाजपा के कुछ अंदरूनी नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपने ही पार्टी के प्रत्याशियों को हराने का प्रयास कर रहे हैं। वे निर्दलीय उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं, ताकि वे जीत सकें।
निर्दलीय उम्मीदवार मेयर और पार्षद पदों पर जीत हासिल करते हैं, तो क्या
गुरुग्राम का मामला: गुरुग्राम में भाजपा के कई कार्यकर्ताओं को मेयर और पार्षद पद के लिए टिकट नहीं मिल सका, और निर्दलीय उम्मीदवार मेयर और पार्षद पदों पर जीत हासिल करते हैं, तो क्याहैं। इन कार्यकर्ताओं ने निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन करना शुरू कर दिया है और भाजपा के उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। इसको लेकर भाजपा में अंदरूनी विवाद भी पैदा हो गया है। मंगलवार को गुरुग्राम जिला अध्यक्ष कमल यादव ने उन कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर निकाल दिया है, जो पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम कर रहे थे। अब वे निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ने में जुटे हुए हैं और भाजपा के उम्मीदवारों के सामने खुलकर विरोध कर रहे हैं।
सुंदरलाल सरपंच और निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत के बीच कड़ा मुकाबला
गुरुग्राम और मानेसर में कड़ा मुकाबला: गुरुग्राम और मानेसर में मेयर पद के लिए भाजपा के मेयर प्रत्याशी सुंदरलाल सरपंच और निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। सुंदरलाल सरपंच को हरियाणा के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक का समर्थन प्राप्त है। वहीं, निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत भाजपा के खिलाफ खड़े हुए हैं और उनका दावा है कि वे चुनाव में जीत सकते हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस चुनाव में हार-जीत का अंतर बहुत कम हो सकता है।
राजनीति में कुछ भी हो सकता है।
क्या भाजपा अपने दरवाजे खोलेगी? अब एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवारों को हराकर जीतते हैं, तो क्या हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी उनके लिए अपने दरवाजे खोलेंगे या वे हमेशा के लिए बंद रहेंगे। इस बारे में राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है। यदि निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवारों को हराकर जीतते हैं और भाजपा के बड़े नेता उनका समर्थन करते हैं, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
हरियाणा की राजनीति में चर्चा का विषय बन चुका है।
क्या भाजपा अपने दरवाजे उन निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए खोलेगी जो पार्टी के खिलाफ खड़े हैं? यह सवाल अब हरियाणा की राजनीति में चर्चा का विषय बन चुका है। समय के साथ यह साफ होगा कि भाजपा इस चुनौती से कैसे निपटेगी और निर्दलीय उम्मीदवारों को लेकर उसका क्या रुख होगा।
निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए खोलेगी या बंद रखेगी,
समय ही बताएगा: यह तो समय ही बताएगा कि भाजपा अपने दरवाजे इन निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए खोलेगी या बंद रखेगी, लेकिन इस चुनावी प्रक्रिया में भाजपा के लिए कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े हो गए हैं, जो भविष्य में राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।