
कांग्रेस नेतृत्व और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच बढ़ती दरार
चंडीगढ़, 7 फरवरी: हरियाणा में कांग्रेस के भीतर गहराते मतभेदों ने पार्टी के नेतृत्व को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाए जाने को लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व असमंजस में है। लगातार बैठकों और चर्चाओं के बावजूद अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस हाईकमान हुड्डा की भूमिका को लेकर नाराज है, खासकर विधानसभा चुनाव में उनके फैसलों के कारण। पार्टी के अंदरूनी हलकों में चर्चा है कि हुड्डा ने कुछ उम्मीदवारों को हराने का प्रयास किया, जिसकी जानकारी सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक पहुंच चुकी है।
हुड्डा और मोदी की करीबी बनी नाराजगी का कारण?
एक और बड़ा कारण जो हुड्डा के खिलाफ जा रहा है, वह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी नजदीकी। कहा जाता है कि हुड्डा और मोदी के बीच अच्छे संबंध हैं, जिसे कांग्रेस नेतृत्व संदेह की नजर से देख रहा है। यही वजह है कि हुड्डा पर हाईकमान का भरोसा कम होता जा रहा है और उन्हें विपक्ष का नेता बनाने में टालमटोल की जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को यह भी लगता है कि हुड्डा ने जानबूझकर विधानसभा चुनाव में कमजोर प्रत्याशियों को टिकट दिलवाई, जिससे कई कांग्रेस उम्मीदवार हार गए और पार्टी सरकार बनाने से चूक गई। इसके अलावा, हुड्डा के इशारे पर हुए टिकट बंटवारे को लेकर भी राष्ट्रीय नेतृत्व में असंतोष है।
क्या हुड्डा कांग्रेस से किनारा करेंगे?
पार्टी में बढ़ती उपेक्षा के कारण हुड्डा का भविष्य कांग्रेस में अनिश्चित नजर आ रहा है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या वह कांग्रेस से अलग होंगे या फिर किसी अन्य राजनीतिक दल में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास करेंगे। पहले भी हुड्डा कई बार हाईकमान को अपने दबाव की राजनीति से झुका चुके हैं, लेकिन इस बार राष्ट्रीय नेतृत्व उनके प्रभाव में आने को तैयार नहीं दिख रहा।
सूत्रों के मुताबिक, हुड्डा के समर्थक कई विधायकों को यह लगता है कि अगर कांग्रेस में उनकी अनदेखी जारी रही, तो वे नई रणनीति अपनाने पर मजबूर हो सकते हैं। हालांकि, हुड्डा ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके हालिया राजनीतिक कदम कांग्रेस से नाराजगी को साफ दर्शाते हैं।
प्रदेश कांग्रेस में बढ़ती कलह
हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान सिंह, जो हुड्डा के करीबी माने जाते हैं, विधानसभा चुनाव में अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। लेकिन हार की जिम्मेदारी कोई भी नेता लेने को तैयार नहीं है, जिससे कांग्रेस में आपसी टकराव बढ़ गया है। अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के भीतर अब हुड्डा को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही और उनका प्रभाव लगातार कम हो रहा है।
प्रदेश कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि हुड्डा गुट ने चुनावी रणनीति में बड़ी गलतियां कीं, जिसके कारण पार्टी सत्ता में आने से चूक गई। यही वजह है कि अब पार्टी के कई नेता हुड्डा की रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं और राष्ट्रीय नेतृत्व भी इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रहा है।
हुड्डा की रणनीति और कांग्रेस का भविष्य
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हुड्डा की रणनीतियों के कारण ही कांग्रेस हरियाणा में सरकार बनाने से चूक गई। टिकट वितरण में उनकी भूमिका पर सवाल उठे हैं और हाईकमान इसे लेकर गंभीर है।
अब यह देखना होगा कि हुड्डा कांग्रेस में बने रहेंगे या नई राजनीतिक राह चुनेंगे। अगर कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें विपक्ष का नेता नहीं बनाया, तो आने वाले दिनों में हरियाणा की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
(रिपोर्ट: कांग्रेस में मची हलचल और हुड्डा की भविष्य की रणनीति पर नजर बनाए रखें।)