
तिजारा, राजस्थान (9 मार्च): तिजारा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला। इस पावन अवसर पर श्री श्याम परिवार महासंघ एवं तिजारा पीठ की ओर से प्रसिद्ध कथावाचक श्री देवी चित्रलेखा जी का विशेष सम्मान किया गया। उन्हें साफा, शॉल और पटका पहनाकर आदरपूर्वक अभिनंदन किया गया, साथ ही श्रीमद्भागवत महापुराण की आरती करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ।
भक्तिरस में डूबे श्रद्धालु
कथा के दौरान श्रद्धालु पूर्ण भक्तिभाव से कथा का श्रवण करते नजर आए। देवी चित्रलेखा जी ने अपने मधुर वचनों से सभी को श्रीमद्भागवत कथा का महत्व समझाया और धर्म व आध्यात्म की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला दिव्य ग्रंथ है।
धार्मिक आयोजन की भव्यता
कथा स्थल को भव्य रूप से सजाया गया था, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उपस्थिति दर्ज कराई। पूरे क्षेत्र में भक्ति और आध्यात्म का माहौल बना रहा। श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के भजन-कीर्तन गाते हुए नजर आए, जिससे वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया।
इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि इस कथा का मुख्य उद्देश्य सनातन संस्कृति को सशक्त बनाना और लोगों को धार्मिक जागरूकता से जोड़ना है।
देवी चित्रलेखा जी का आध्यात्मिक संदेश
कथा समापन के अवसर पर देवी चित्रलेखा जी ने प्रेम, भक्ति और सदाचार पर जोर देते हुए कहा कि जब व्यक्ति सच्चे मन से भगवान की शरण में जाता है, तो उसे जीवन में हर प्रकार की सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से सत्संग, साधना और सेवा को अपने जीवन में अपनाने का आह्वान किया।
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस अवसर पर क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे, जिन्होंने कथा आयोजन की सराहना की और इसे जनकल्याणकारी बताया। आयोजकों ने सभी भक्तों का धन्यवाद किया और भविष्य में भी ऐसे धार्मिक आयोजनों की निरंतरता बनाए रखने का संकल्प लिया।
(रिपोर्ट: तिजारा से विशेष संवाददाता)