
मुंबई/, 10 अप्रैल 2025: भगवान महावीर स्वामी के जन्मकल्याणक महोत्सव के अवसर पर मुंबई में एक भव्य राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय था — “अंतरधार्मिक संवाद द्वारा विश्व शांति एवं सद्भावना।” इस आयोजन में देश के दो राज्यपालों, सामाजिक एवं धार्मिक नेताओं तथा गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया और भगवान महावीर के सिद्धांतों की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए।
भगवान महावीर के दर्शन से ही संभव है विश्व शांति: राज्यपाल महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान महावीर का जीवन दर्शन मानव कल्याण और राष्ट्र निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा:
“जैन समाज ने सदैव देश की संस्कृति, शिक्षा और सहिष्णुता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भगवान महावीर के सिद्धांत, विशेष रूप से अहिंसा और अनेकांतवाद, वैश्विक संघर्षों के समाधान का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।”
🌐 अनेकांत दर्शन से मिलेगी वैश्विक समस्याओं को दिशा: राज्यपाल बिहार
बिहार के राज्यपाल माननीय डॉ. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि समाज और राष्ट्र के समग्र विकास के लिए शांति अपरिहार्य है। उन्होंने कहा:
“आज जब पूरी दुनिया युद्ध, आतंक और कट्टरता से जूझ रही है, भगवान महावीर का ‘अनेकांत दर्शन’ हमें सिखाता है कि हर मत, हर विचार को समझने और स्वीकार करने की शक्ति होनी चाहिए। यह दृष्टिकोण हमें न केवल सहिष्णुता सिखाता है, बल्कि एक शांतिपूर्ण वैश्विक समाज की नींव रखता है।”
🙏 विश्व शांति दूत आचार्य लोकेश का संदेश
विश्व शांति केंद्र के संस्थापक और जैन आचार्य लोकेशजी ने कहा कि भगवान महावीर का दर्शन केवल एक धार्मिक मार्ग नहीं, बल्कि एक वैश्विक समाधान है। उन्होंने कहा:
“अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, और पर्यावरण संतुलन जैसे सिद्धांतों में ही आज की समस्याओं का समाधान छिपा है। युद्ध, हिंसा, पर्यावरण प्रदूषण, आर्थिक असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों का उत्तर हमें भगवान महावीर के जीवन-दर्शन में मिलता है।”
आचार्य लोकेश ने बताया कि गुरुग्राम स्थित विश्व शांति केंद्र इस दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कार्यरत है।
अन्य गणमान्य व्यक्तियों की भागीदारी
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री श्री मंगल प्रभात लोढ़ा और लोकमत मीडिया ग्रुप के चेयरमैन डॉ. विजय दर्डा ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जैन समाज की भूमिका राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और मानवता की रक्षा में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।
📅 पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया गया भगवान महावीर जन्मकल्याणक
भगवान महावीर का जन्मकल्याणक दिवस न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में धार्मिक श्रद्धा, सामाजिक सेवा, और सांस्कृतिक उत्सवों के रूप में मनाया गया। जैन समाज के विभिन्न संगठनों द्वारा शोभायात्राएं, ध्यान शिविर, रक्तदान, पौधारोपण और सार्वजनिक संवाद जैसे आयोजन किए गए।
धर्म के माध्यम से संवाद और समाधान
यह संगोष्ठी इस बात की मिसाल है कि धर्मों के बीच संवाद और आपसी समझ सिर्फ धार्मिक सौहार्द नहीं, बल्कि विश्व शांति और मानवता के भविष्य की कुंजी भी हो सकती है। भगवान महावीर का दर्शन आज भी प्रासंगिक है, और यदि इसे सही अर्थों में अपनाया जाए तो यह समाज और विश्व दोनों के लिए कल्याणकारी साबित हो सकता है।