
लखनऊ, 11 अप्रैल 2025,
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के आठ वर्षों के कार्यकाल के दौरान प्रदेश ने जिस तेजी से विकास के नए आयाम तय किए हैं, उसी का सबसे सजीव उदाहरण बनकर उभरी है – नयी काशी। जहाँ कभी तंग गलियाँ, अव्यवस्थित ट्रैफिक और बुनियादी सुविधाओं की कमी हुआ करती थी, आज वहाँ धार्मिक आस्था के साथ-साथ आधुनिक विकास की चमक दिखाई देती है।
प्रदेश सरकार का दावा है कि आज काशी वह शहर है “जहाँ योजनाएं धरातल पर उतर रही हैं और सपने हकीकत बन रहे हैं।” योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में काशी न सिर्फ अपनी आध्यात्मिक पहचान को और सशक्त बना रही है, बल्कि यह आधुनिक सुविधाओं के साथ विश्व पटल पर भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही है।
धार्मिक नगरी से ग्लोबल टूरिज्म हब तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का भव्य निर्माण कराया, जो अब विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र बन चुका है। यह परियोजना केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि शहरी सौंदर्यीकरण, मूलभूत सुविधाओं और स्मार्ट सिटी के दृष्टिकोण से भी मील का पत्थर है।
लाखों श्रद्धालु अब साफ-सुथरे, व्यवस्थित और सुंदर मार्गों से मंदिर तक पहुंच पाते हैं। गंगा घाटों का सौंदर्यीकरण, नाव सेवा, लाइट एंड साउंड शो, रिवर फ्रंट विकास – ये सभी प्रयास काशी को विश्व मानचित्र पर एक नई पहचान दे रहे हैं।
संस्कृति के साथ तकनीक का संगम
सरकार का कहना है कि काशी में विकास कार्यों में पारंपरिक विरासत को संरक्षित रखते हुए आधुनिक तकनीकों का समावेश किया गया है। इससे काशी एक “स्मार्ट धार्मिक नगर” के रूप में विकसित हो रही है।
डिजिटल सूचना केंद्र, पर्यटन मार्गदर्शन ऐप, सिग्नेचर गैलरी, इलेक्ट्रिक बसें और हाई-टेक सुरक्षा प्रबंधन जैसे नवाचारों से यहाँ आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को विश्वस्तरीय अनुभव मिल रहा है।
रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिला बल
काशी के कायाकल्प से ना केवल तीर्थाटन को बढ़ावा मिला है, बल्कि इससे स्थानीय व्यापार, कुटीर उद्योग, हस्तशिल्प, पंडा समाज, नाविक समुदाय और पर्यटन से जुड़े अनेक वर्गों को स्थायी रोजगार मिला है।
सरकार का दावा है कि अब काशी आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही है, जहाँ धार्मिक आस्था और आर्थिक विकास दोनों साथ चल रहे हैं।
जहाँ परंपरा, प्रगति और पहचान एक साथ कदम बढ़ा रहे हैं।
काशी का कायाकल्प, केवल एक शहर का विकास नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक भारत की प्रगति का मिलन है। यह दर्शाता है कि अगर नीयत साफ हो, नेतृत्व मजबूत हो और योजनाओं को सही दिशा मिले, तो बदलाव ज़रूर आता है।
नयी काशी अब सिर्फ अतीत की याद नहीं, बल्कि भविष्य की प्रेरणा बन चुकी है — जहाँ परंपरा, प्रगति और पहचान एक साथ कदम बढ़ा रहे हैं।