सामाजिक संगठनों ने बताया लोकतंत्र पर हमला
जयपुर, 13 अप्रैल 2025 — डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कानून के तहत सूचना के अधिकार (RTI) कानून में किए गए संशोधनों के खिलाफ विरोध की आवाजें तेज होती जा रही हैं। शनिवार को सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान की ओर से राजधानी जयपुर में इन संशोधनों को तुरंत वापस लेने की मांग की गई। सामाजिक संगठनों और जन आंदोलनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कहा कि ये बदलाव नागरिकों के मौलिक अधिकार और लोकतांत्रिक पारदर्शिता पर सीधा हमला हैं।
“RTI की आत्मा को किया जा रहा है खत्म” — निखिल डे
सूचना के अधिकार आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा RTI की धारा 8(1)(j) में किया गया संशोधन खतरनाक है। यह धारा अब लगभग सभी निजी जानकारी को सार्वजनिक करने से रोक देती है, जबकि पहले यह जानकारी यदि जनहित में होती तो उसे साझा किया जा सकता था।
उन्होंने यह भी कहा कि RTI कानून की एक महत्वपूर्ण सुरक्षा पंक्ति — “जो जानकारी संसद या विधानसभा से नहीं रोकी जा सकती, वह किसी अन्य नागरिक से भी नहीं रोकी जाएगी” — को भी धारा 8(1) से हटाया गया है। इससे RTI की पारदर्शिता और जवाबदेही की शक्ति को गहरी चोट पहुंची है।
“जनता की निगरानी की शक्ति छीनी जा रही है”
कार्यकर्ताओं का मानना है कि इन संशोधनों से सरकार की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखना अब और मुश्किल हो जाएगा। सरकारी रिकॉर्ड तक नागरिकों की पहुंच सीमित कर दी गई है, जिससे पारदर्शिता में कमी आएगी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
निखिल डे ने कहा, “RTI के जरिए लोग यह पूछ पाते थे कि राशन क्यों नहीं मिला, पेंशन क्यों रुकी, स्कूल की बिल्डिंग क्यों अधूरी है — अब इस पर भी पर्दा डाला जा रहा है।”
राजस्थान: RTI आंदोलन की जन्मभूमि
निखिल डे ने याद दिलाया कि राजस्थान RTI आंदोलन की जन्मस्थली रही है। मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) और सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान ने सूचना के अधिकार को जमीनी स्तर तक पहुंचाया। जन सुनवाइयों के माध्यम से ग्रामीणों को यह सिखाया गया कि सरकारी रिकॉर्ड देखने का हक उनका संवैधानिक अधिकार है।
उन्होंने कहा, “हमने गांव-गांव जाकर यह सिखाया कि RTI लोगों की ताकत है। अगर आज यह अधिकार कमजोर किया जा रहा है, तो हम इसे वापस पाने के लिए फिर सड़कों पर उतरेंगे।”
आगे की रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में देशभर के सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर एक व्यापक आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है। जयपुर से शुरू हुआ यह विरोध जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर उग्र रूप ले सकता है।
RTI कानून में किए गए ये संशोधन न केवल लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरा माने जा रहे हैं, बल्कि नागरिकों की बुनियादी निगरानी की शक्ति को भी कमजोर कर रहे हैं। राजस्थान, जिसने इस अधिकार को जन्म दिया, अब एक बार फिर इसके संरक्षण के लिए संघर्षरत है।