
मेरे शहर के लोग हंसते, नाचते-गाते व खुश रहे इसलिए सुभाष पार्क बनाया जोकि उद्देश्य की प्रतिपूर्ति करता है : ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज
अम्बाला, 14 अप्रैल- हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने कहा कि मेरे शहर के लोग हंसते, नाचते-गाते, झूमते व खुश रहे। इसलिए सुभाष पार्क में ओपन थियेटर बनाया गया और आज यहां हर सप्ताह में कोई न कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम व आयोजन चलते रहते है जोकि इसे बनाने के उद्देश्य की प्रतिपूर्ति करते हैं। उन्होंने कहा अमीरी का स्तर पैसा, दौलत, प्राईस इंडेक्स व जीडीपी नहीं है। आज खुशहाली इंडेक्स किस देश में कितना है, उससे अमीरी का स्तर नापा जाता है।
विज गत देर शाम बैसाखी के अवसर पर सदाबहार संगीत प्रेमी ग्रुप द्वारा अंबाला छावनी सुभाष पार्क के ओपन एयर थियेटर में देर शाम आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि लोगों को संबोधित कर रहे थे।
कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि हर व्यक्ति में कोई न कोई प्रतिभा व काबिलियत जरूर छिपी होती है जिसे बाहर निकालने के लिए एक प्लेटफार्म की आवश्यकता होती है। लोगों को संगीत नृत्य व अन्य प्रतिभाओं को दिखाने का मौका मिले इसलिए यह ओपन एयर थियेटर का मंच प्रदान किया गया है और मैं भी यह चाहता हूं कि यहां एक बेहतरीन साउड सिस्टम जिससे बिना किसी खर्च के कार्यक्रम आयोजित हो सके।
कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने मंच से गुनगुनाई पंक्तियां
कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कोविड काल की बात बताते हुए कहा कि आप सभी की दुआओं से मैं जिंदा हूं, उन्हें जब कोविड हो गया था तो हिंदुस्तान के बड़े अस्पताल के डॉक्टरों ने यह कह दिया था कि उनके बचने का कोई चांस नहीं है। इसपर उन्होंने स्वयं लिखी पंक्तियां सुनाई …
“आपकी दुआओ से में आज जिंदा हूं, वरना मैं तो इस धरती का छोटा सा परिंदा हूं, कभी ऊंचा उड़ने की ख्वाहिश नहीं की मैंने, काम अधूरे छोड़कर चला जाता, इसलिए बहुत शर्मिंदा हूं, मैं तो आपकी दुआओं से ही जिंदा हूं”।
विज ने इस दौरान बजट सत्र के दौरान सदन में भी विपक्षी दलों से बहस के दौरान कही पंक्तियां मंच से सुनाई … “खेल मत मुझसे के आग हूं, मैं अगर फैल गया तो तू भाग भी नहीं पाएगा”।
एक अन्य पंक्तियां उन्होंने गुनगुनाई “तूफानों से खेलता हूं मैं, मैं खुद भी एक तूफान हूं, मुझसे टकराने वालो के मैं अंत का पैगाम हूं”।
कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने बैसाखी पर्व की शुभकामनाएं दी
इस मौके पर उन्होंने शहर व प्रदेशवासियों को बैसाखी के पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व सभी के जीवन मे नई ऊर्जा, समृद्धि और भाईचारे की भावना लेकर आएं और चारो तरफ खुशहाली हो। उन्होंने कहा गुरू गोविंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा सिख पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने पांच प्यारे बनाए थे और उन्हें खालसा का रूप दिया जोकि सामुदायिक एकता का प्रतीक है। उन्होंने जो लूटने आते थे व धर्म-कर्म में बाधा डालते थे उनके खिलाफ एलान-ए-जंग किया था, यही कारण है कि आज हमारा क्षेत्र खुशहाल है। उन्होंने कहा कि बैसाखी का पर्व देसी महीना बैसाख में आती है इसलिए इसे बैसाखी कहा जाता है। आज के दिन गेहूं की फसल पक कर लहराती है और किसान अपनी फसल को पाकर भगवान का आभार व्यक्त करता है। चारो तरफ खुशियों की ब्यार बैहती है। बैसाखी का पर्व हमारे किसान भाईयो की कडी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है जिसे पारंपरिक लोक नृत्य, भांगड़ा, गिद्धा अन्य तरीको से बडे ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है।