
राजनीतिक हलचल:
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कैप्टन अजय सिंह यादव — कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छह बार विधायक रह चुके हैं।
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उन्हें ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर डॉ. अनिल जयहिंद को नियुक्त किया गया है।
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यह बदलाव ऐसे समय हुआ जब वे महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम के लिए जा रहे थे — जिससे वह बीच रास्ते से ही लौट आए।
⚠️ राजनीतिक असंतोष और भविष्य की अटकलें:
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कैप्टन खुद को असहज महसूस कर रहे हैं, उन्होंने पहले ही कई बार पार्टी के अंदरूनी गुटबाजी और फैसलों से असहमति जताई है।
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कई वरिष्ठ नेता (जैसे राव इंद्रजीत सिंह, किरण चौधरी आदि) पहले ही कांग्रेस छोड़ चुके हैं, और अब चर्चा है कि कैप्टन भी वही रास्ता अपना सकते हैं।
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पार्टी के प्रति कैप्टन की नाराज़गी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा से पुरानी अदावत भी इस परिस्थिति को और गंभीर बनाती है।
🎙️ कैप्टन का बयान:
“मैंने छह महीने पहले ही इस पद से इस्तीफा दे दिया था। मगर अच्छा होता अगर मुझे कहा जाता कि खुद इस्तीफा दो। इस पद का कोई फायदा नहीं था, न वर्किंग कमेटी में जा सकते थे, न इलेक्शन कमेटी में।”
“पार्टी छोड़ने का अभी इरादा नहीं है। मेरी नेता सिर्फ सोनिया गांधी हैं।”
🔸 कैप्टन के इस बयान से साफ है कि वह भले ही तत्काल पार्टी न छोड़ें, लेकिन अंदरूनी असंतोष गहरा है।
📌 राजनीतिक असर:
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अगर कैप्टन पार्टी छोड़ते हैं, तो रेवाड़ी और गुरुग्राम बेल्ट में कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हो सकती है।
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कांग्रेस, जो पहले से ही “ऑक्सीजन के सहारे” राजनीति कर रही है, के लिए यह एक और बड़ा झटका होगा।
- पार्टी से इस्तीफा: अक्टूबर 2024 में, कैप्टन अजय यादव ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इस कदम के पीछे पार्टी आलाकमान द्वारा उनकी मेहनत की अनदेखी और खराब व्यवहार को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद उनके साथ उचित सम्मान नहीं मिला, जिससे उनका पार्टी से मोहभंग हो गया। पार्टी से इस्तीफा: अक्टूबर 2024 में, कैप्टन अजय यादव ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इस कदम के पीछे पार्टी आलाकमान द्वारा उनकी मेहनत की अनदेखी और खराब व्यवहार को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद उनके साथ उचित सम्मान नहीं मिला, जिससे उनका पार्टी से मोहभंग हो गया।
यह पूरी घटना दर्शाती है कि कांग्रेस हाईकमान और ज़मीनी नेताओं के बीच संवाद की कमी अब राजनीतिक नुकसान का कारण बन सकती है। कैप्टन जैसे वरिष्ठ नेता का मनोबल गिरना पार्टी के लिए खतरे की घंटी है।