
हाईकोर्ट ने लगाई फटकार — कहा: यह बयान अक्षम्य है
नई दिल्ली, 22 अप्रैल 2025।
योगगुरु बाबा रामदेव एक बार फिर अपने विवादित बयान के चलते कानूनी पचड़े में फंस गए हैं। इस बार मामला जुड़ा है मशहूर पेय रूह अफज़ा से, जिसे लेकर उन्होंने कथित रूप से एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। बाबा रामदेव ने रूह अफज़ा को “एक जिहाद” करार दिया था, जिसके बाद हमदर्द लैबोरेटरीज ने उनके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है।
🟡 क्या कहा था बाबा रामदेव ने?
एक सार्वजनिक मंच से बोलते हुए रामदेव ने कहा था कि “रूह अफज़ा एक जिहाद है।” यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। हमदर्द कंपनी ने इसे ब्रांड की छवि खराब करने और धार्मिक उन्माद फैलाने वाला बताया।
🔴 हाईकोर्ट की सख्ती: “बयान अक्षम्य, अंतरात्मा को झकझोरने वाला”
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बयान पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा:
“यह बयान अक्षम्य है और किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह देश की अंतरात्मा को झकझोरने वाला है।”
कोर्ट ने बाबा रामदेव के वकील से स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह के बयान न केवल ब्रांड को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी प्रभावित करते हैं।
🔵 रामदेव ने झाड़ा पल्ला, वकील बोले — नाम तो लिया ही नहीं
रामदेव के वकील ने कोर्ट में कहा कि बाबा ने किसी ब्रांड या कंपनी का नाम नहीं लिया, इसलिए यह “विवादित बयान” कैसे माना जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि रामदेव की ओर से वीडियो को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए निर्देश दिया कि:
“जल्द से जल्द हलफनामा दाखिल करें और यह सुनिश्चित करें कि वीडियो, प्रिंट या किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर से ऐसे सभी विज्ञापन और बयान हटाए जाएं।”
⚖️ हमदर्द की ओर से आया तीखा जवाब
हमदर्द के वकील ने कोर्ट में कहा कि रामदेव के बयान से कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है और यह एक सुनियोजित हमला है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुकदमा दायर करने के बाद से बाबा रामदेव की ओर से और भी कई आपत्तिजनक बातें सामने आई हैं।
उन्होंने मांग की कि वीडियो पूरी तरह से हटाया जाए और एक सार्वजनिक माफ़ी भी जारी की जाए।
🟠 कोर्ट में दोनों पक्षों में तीखी बहस
रामदेव के वकील ने कहा कि विवादित सामग्री कुछ बाहरी प्लेटफॉर्म्स पर है, जो उनके सीधे नियंत्रण में नहीं है। लेकिन जहां-जहां वे हस्तक्षेप कर सकते हैं, वहां सामग्री हटाई जा रही है।
हालांकि, हमदर्द की ओर से यह भी कहा गया कि निष्पक्षता का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और बाबा रामदेव को पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
🔚 शरबत से शुरू हुआ मामला कोर्ट तक पहुंचा
बाबा रामदेव का बयान अब न सिर्फ कानूनी विवाद का कारण बन गया है, बल्कि एक बार फिर यह दिखाता है कि प्रभावशाली सार्वजनिक हस्तियों के बयान कितने गंभीर असर छोड़ सकते हैं।
हाईकोर्ट की टिप्पणी और निर्देशों के बाद अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि बाबा रामदेव की ओर से अगला कदम क्या होगा — माफ़ी, सफाई या कानूनी लड़ाई?