
योगी आदित्यनाथ की चेतावनी साबित हुई सच
लखनऊ, 24 अप्रैल 2025 — उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आतंकी हमले से पहले जो चेतावनी दी थी, वो अब भयावह सच्चाई में बदल चुकी है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि “आज हिंदू खतरे में है” — और अब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो दर्दनाक आतंकी हमला हुआ, जिसमें धर्म और जाति पूछ कर हिंदुओं को निशाना बनाकर गोलियों से छलनी कर दिया गया, उसने देश को झकझोर कर रख दिया है।
यह हमला सिर्फ एक कायराना आतंकी कार्रवाई नहीं, बल्कि हिंदू समाज के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश के रूप में देखा जा रहा है। हमले के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है, साथ ही रोष भी चरम पर है।
योगी की चेतावनी आज प्रासंगिक क्यों?
आतंकी हमले से पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहद गंभीर लहजे में कहा था कि “हिंदू समाज पर खतरा मंडरा रहा है, और अब समय आ गया है कि हम संगठित हों और सतर्क रहें।” उनकी यह बात आज बेहद प्रासंगिक और दूरदर्शी लग रही है। यह केवल राजनीतिक बयान नहीं था, बल्कि एक सजग नेतृत्व की गंभीर चेतावनी थी।
पाकिस्तान पर केंद्र का कड़ा एक्शन
इस भयावह हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार द्वारा लिए गए प्रमुख निर्णयों में शामिल हैं:
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भारत में पाकिस्तान का दूतावास बंद कर दिया गया है।
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सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं।
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सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से रोका गया है।
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अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को बंद कर दिया गया है।
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48 घंटे के भीतर पाकिस्तान से संबंधित सभी अधिकारी और नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश।
इन निर्णयों से पाकिस्तान में राजनीतिक और कूटनीतिक भूचाल आ गया है।
अब क्या करे हिन्दू समाज?
अब सवाल यह नहीं कि खतरा है या नहीं, बल्कि यह है कि इस खतरे से कैसे निपटा जाए। योगी आदित्यनाथ ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा था:
“हमें अब चेत जाना चाहिए। केवल सरकार पर निर्भर न रहकर, हमें स्वयं अपने अस्तित्व, संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए एकजुट होना होगा।“
इस समय हिंदू समाज को एकजुटता, सजगता और साहस के साथ खड़ा होना पड़ेगा। आतंकी ताकतें सिर्फ निर्दोष लोगों को नहीं मारतीं, वे समाज की जड़ों को काटने की कोशिश करती हैं।
धार्मिक असहिष्णुता और आतंकी मानसिकता के खिलाफ एकजुट संघर्ष की आवश्यकता है
योगी आदित्यनाथ की चेतावनी अब एक चेतावनी नहीं रही, बल्कि एक यथार्थ की दस्तक बन चुकी है। देश को, समाज को और प्रत्येक नागरिक को यह समझने की आवश्यकता है कि धार्मिक असहिष्णुता और आतंकी मानसिकता के खिलाफ एकजुट संघर्ष की आवश्यकता है — और यही समय है संवेदनशीलता के साथ सजगता दिखाने का।
हमें न केवल आतंक के खिलाफ खड़े होना है, बल्कि उस विचारधारा के खिलाफ भी जो निर्दोषों की हत्या को जायज ठहराती है।