
सिंधु जल समझौते को रोकने के भारत सरकार के कदम के बाद पाकिस्तान के सामने पानी की समस्या क्या होगी? क्या यह युद्ध की तरफ ले जा सकता है? और आखिर ये विवाद इतना गहरा क्यों है? आइए इसे पूरे संदर्भ के साथ समझते हैं:
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से यह समझौता हुआ।
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इसके तहत 6 नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया:
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पूर्वी नदियाँ: रावी, व्यास, सतलज – इन पर भारत का पूर्ण अधिकार।
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पश्चिमी नदियाँ: सिंधु, झेलम, चिनाब – इन पर पाकिस्तान को ज्यादा (80%) अधिकार दिया गया।
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भारत को इन नदियों पर सीमित इस्तेमाल (बिजली उत्पादन, सिंचाई के लिए) की इजाजत है, लेकिन पानी को डायवर्ट या रोकने की नहीं।
🌊 अब क्या हुआ है?
जैसा कि आपने लिखा, भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद बड़ी कार्रवाई करते हुए:
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पाकिस्तान दूतावास बंद किया
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पाकिस्तानियों के वीजा रद्द किए
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सिंधु जल समझौता रोक दिया
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अटारी बॉर्डर भी बंद कर दिया
इसका अर्थ क्या है?
भारत अब उन 80% पानी पर दोबारा दावा कर सकता है, जो अब तक पाकिस्तान को मिलता था।
💧 क्या पाकिस्तान प्यासा मर जाएगा?
हां और नहीं — दोनों ही उत्तर हैं:
🔴 हां, क्योंकि:
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पाकिस्तान का 80% कृषि क्षेत्र सिंधु प्रणाली पर निर्भर है।
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सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी से ही पंजाब और सिंध जैसे क्षेत्रों की खेती चलती है।
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पानी रोकने से पाकिस्तान की फसलें बर्बाद, बिजली संकट और पीने के पानी की भारी किल्लत हो सकती है।
🟢 नहीं, क्योंकि:
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भारत फिलहाल समझौता रोक रहा है, तोड़ नहीं रहा है।
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रोकने का मतलब है कि वह भविष्य में बांध बनाकर पानी को अपने उपयोग के लिए divert कर सकता है, लेकिन एकदम से पानी रोक देना व्यावहारिक नहीं।
💥 क्या पाकिस्तान इसे युद्ध का कारण बना सकता है?
सैद्धांतिक रूप से, हां:
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पाकिस्तान सिंधु जल समझौते को “अस्तित्व से जुड़ा मामला” कहता है।
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अगर उसे लगे कि भारत जानबूझकर पानी रोककर उसकी जनता को भूखा-प्यासा कर रहा है, तो वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाएगा — और संघर्ष का रास्ता भी अपना सकता है।
लेकिन व्यावहारिक रूप से, मुश्किल:
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पाकिस्तान आर्थिक रूप से पहले से ही संकट में है।
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अंतरराष्ट्रीय दबाव और विश्व बैंक की भूमिका को वह नजरअंदाज नहीं कर सकता।
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भारत द्वारा सिंधु समझौते के अनुपालन को लेकर आज तक संयमित व्यवहार किया गया है।
🔍 तो विवाद क्यों है?
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पाकिस्तान को शक है कि भारत पश्चिमी नदियों पर बांध बनाकर उसकी हिस्सेदारी कम कर रहा है।
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किशनगंगा और रटले जैसे प्रोजेक्ट्स को लेकर पाकिस्तान ने कई बार आपत्ति जताई है।
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भारत का कहना है कि वह सिंधु जल समझौते की सीमाओं के भीतर रहकर ही काम करता है।
🇮🇳 भारत का मौजूदा रुख क्यों बदल रहा है?
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पहलगाम आतंकी हमला, जिसमें विशेष रूप से हिंदुओं को निशाना बनाया गया।
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27 भारतीय नागरिकों की हत्या, जिसमें विदेशी भी शामिल थे।
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देश में जनता और राजनीतिक दलों का भारी दबाव।
🗣 प्रधानमंत्री मोदी का संदेश साफ है: “अब आतंकवाद को समर्थन देने वालों को हर मोर्चे पर जवाब मिलेगा – कूटनीति, सीमा, और जल।”
📌 निष्कर्ष
मुद्दा | स्थिति |
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सिंधु जल समझौता | अस्थायी रूप से स्थगित |
पाकिस्तान की स्थिति | बेहद चिंताजनक, कृषि व जल संकट गहरा सकता है |
युद्ध की संभावना | अभी कम, लेकिन कूटनीतिक तनाव बढ़ सकता है |
भारत का उद्देश्य | राजनीतिक और सामरिक दबाव बनाकर आतंक के समर्थन को खत्म करना |