
नई दिल्ली, 25 अप्रैल:
पिछले दिनों पहलगाम में हुए हमले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। इस हमले में कई पर्यटक मारे गए हैं, जिनमें भारतीय नागरिकों के अलावा नेपाली नागरिक भी शामिल हैं। इस हमले की निंदा करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मधुबनी में लोगों के साथ मौन धारण किया और शहीद हुए पर्यटकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में फिर से नहीं होंगी और जो भी ऐसे कृत्य करेगा, वह भारत के नाम से कांपेगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता:
शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को हुआ था। यह समझौता 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करना और उनके संबंधों को सामान्य बनाना था। इस समझौते के प्रमुख उद्देश्य थे:
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1971 युद्ध में पकड़े गए युद्ध बंदियों को आदान-प्रदान: इस समझौते में यह तय किया गया कि युद्ध में पकड़े गए युद्ध बंदियों को एक दूसरे को बाइज़्ज़त लौटा दिया जाएगा।
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कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LOC) का निर्धारण: शिमला समझौते के तहत कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LOC) का निर्धारण किया गया था। यह आज भी भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा का निर्धारण करती है।
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भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को समाप्त करना: यह समझौता दोनों देशों के बीच स्थायी शांति स्थापित करने के लिए था, ताकि कोई भी सैन्य टकराव न हो।
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कश्मीर मुद्दे पर द्विपक्षीय समाधान: समझौते में यह तय हुआ था कि दोनों देश कश्मीर को लेकर किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मामला नहीं उठाएंगे, बल्कि इसे द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से हल करेंगे।
पाकिस्तान का वर्तमान रुख और पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते का हवाला देना:
हालांकि पाकिस्तान ने शिमला समझौते की कई धाराओं का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को लगातार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है, जो शिमला समझौते के खिलाफ है। इसके अलावा, पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियां और भारत के खिलाफ उकसावे की कार्रवाई से स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।
पाकिस्तान अब भारत पर जल संधि का प्रस्ताव रोकने के लिए दबाव बना रहा है और परमाणु युद्ध की धमकियां दे रहा है। पाकिस्तान के इस रवैये को देखकर यह कहा जा सकता है कि पाकिस्तान अब भी शिमला समझौते की भावना को न समझते हुए, अपनी पुरानी आदतों से मजबूर है।
भारत का रुख:
भारत ने पाकिस्तान के लगातार उकसावे को देखते हुए कई कड़े कदम उठाए हैं। भारत ने पाकिस्तान के साथ विभिन्न संधियों पर रोक लगाई है, जिनमें इंडस वॉटर ट्रीटी (जल संधि) और सीमा पार हवाई यातायात पर रोक शामिल हैं। भारत ने इस समय अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला लिया है।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में कहा कि भारत आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को कभी भी बख्शेगा नहीं। वे यह भी आश्वस्त कर रहे हैं कि हमले के बाद, भारत सुरक्षा को और मजबूत करेगा और पाकिस्तान को उसकी हरकतों का कड़ा जवाब दिया जाएगा।
इस समय भारत को अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए सतर्क रहना होगा। पाकिस्तान की ओर से लगातार शांति को नज़रअंदाज़ करना और उकसावे की कार्रवाई करना भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने जो आश्वासन दिया है, वह स्पष्ट रूप से बताता है कि भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा और कड़ी कार्रवाई करेगा।