
आतंकी हमले के बाद हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी नहीं आए , कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
नई दिल्ली, 28 अप्रैल 2025 – पाकिस्तान में रहने वाली सना, जो उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की निवासी हैं, अब अपने दो बच्चों के साथ पाकिस्तान लौटने के लिए भारतीय सरकार से मदद की गुहार लगा रही हैं। सना का विवाह 2020 में पाकिस्तान में हुआ था और उनके दो बेटे भी अब पाकिस्तान में रहते हैं। सना के लिए यह एक जटिल स्थिति बन गई है, क्योंकि उनका पासपोर्ट भारतीय है, जबकि उनके बच्चों के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट है। इस कारण सना को पाकिस्तान जाने में कठिनाई हो रही है, क्योंकि पाकिस्तान में प्रवेश के लिए उसे भारतीय पासपोर्ट की वजह से अनुमति नहीं दी जा रही है।
सना की स्थिति:
सना पाकिस्तान में टूरिस्ट वीजा पर रह रही थीं, जो हर 6 महीने में बढ़ता रहता है, लेकिन अब उन्हें अपने बच्चों के पास पाकिस्तान लौटने का रास्ता ढूंढना है। वे पाकिस्तान में अपनी बुआ के बेटे से शादी करने के बाद वहां बसीं, लेकिन भारतीय पासपोर्ट के कारण उनका प्रवेश पाकिस्तान में रोका गया। इसके विपरीत, उनके बच्चों को पाकिस्तानी नागरिकता के कारण पाकिस्तान में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। ऐसे में सना और उनके परिवार के लोग अब भारत सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं ताकि वे अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान लौट सकें।
कांग्रेस अध्यक्ष का बयान:
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “हमारी बदकिस्मती है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी नहीं आए। वह बिहार में चुनावी भाषण देने जा सकते हैं, लेकिन दिल्ली में हो रही सर्वदलीय बैठक में नहीं आ सकते थे।” खड़गे ने यह भी कहा, “प्रधानमंत्री को बिहार से दिल्ली आकर बैठक में हिस्सा लेना चाहिए था और हमें बताना चाहिए था कि सरकार इस मुद्दे पर क्या योजना बना रही है और हमसे क्या मदद चाहते हैं।”
भारत सरकार की भूमिका:
अब यह सवाल उठ रहा है कि भारत सरकार इस मानवीय संकट को कैसे हल करेगी। सना और उनके परिवार के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी स्थिति को समझेगी और उन्हें पाकिस्तान जाने का रास्ता मिलेगा। सना की मुश्किलें केवल एक व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि एक बड़ा कूटनीतिक और मानवीय मुद्दा बन चुकी हैं। सरहदों के पार रिश्तों और परिवारों के लिए यह बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, जो इस विभाजन के कारण कई परिवारों को एक-दूसरे से दूर कर रही हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच के कड़े रिश्तों और सुरक्षा मामलों के कारण इस तरह के मामलों में जटिलताएं आना स्वाभाविक है। लेकिन क्या भारतीय सरकार ऐसी स्थितियों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए सना की मदद करेगी? इस सवाल का जवाब अब देश की नीति और प्रशासनिक निर्णयों पर निर्भर करेगा।
सना और उनके परिवार का मामला न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि दो देशों के रिश्तों और मानवीय दृष्टिकोण पर भी सवाल उठाता है। इस तरह की घटनाओं में मानवीय विचार और कूटनीतिक समाधान की आवश्यकता है, ताकि परिवारों को अपनी भावनाओं और रिश्तों के आधार पर एक-दूसरे से मिलने का मौका मिल सके, बिना किसी कागजी बाधा के।