
नई दिल्ली, 29 अप्रैल 2025 – कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की अपील की है। यह कदम इस बात का प्रतीक है कि विपक्ष अब इस मुद्दे पर एकजुट होने की कोशिश कर रहा है और चाहता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी मजबूत स्थिति प्रदर्शित करे।
📝 पत्र में क्या कहा गया?
कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकवादी हमले के बाद स्थिति पर सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करने के लिए संसद के दोनों सदनों का विशेष सत्र जल्द से जल्द बुलाया जाए। इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि पाकिस्तान को यह संदेश दिया जाए कि भारत आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है और पाकिस्तान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
पत्र में यह भी कहा गया कि इस विशेष सत्र का आयोजन यह सुनिश्चित करेगा कि भारत की संसद आतंकवाद के खिलाफ एक दृढ़ और एकजुट संदेश भेजे, जिससे पाकिस्तान को यह समझने का अवसर मिलेगा कि भारत के खिलाफ आतंकवाद का समर्थन करना कितनी बड़ी गलती हो सकती है।
📅 पहलंगाम हमला
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलंगाम स्थित बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाते हुए हमला किया था। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए थे। यह घटना पूरे देश को झकझोर कर रख दी और आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त रुख अपनाने की आवश्यकता महसूस हुई।
🇮🇳 आतंकवाद के खिलाफ भारत का एकजुट रुख
कांग्रेस नेताओं ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह वक्त है जब भारत अपने निर्णयों और कृत्यों के द्वारा पाकिस्तान को यह संदेश दे कि आतंकवाद के खिलाफ भारत हमेशा एकजुट रहेगा। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि इस प्रकार के हमलों के बाद संसद की एकजुटता और मजबूत प्रतिक्रिया से आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश जाएगा।
यह पत्र कांग्रेस के नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को यह सुनिश्चित करने के लिए भेजा गया कि पाकिस्तान को भारत की ताकत और एकजुटता का अहसास हो और हमले के जवाब में ठोस कदम उठाए जाएं।
📣 कांग्रेस का रुख:
कांग्रेस का यह कदम दिखाता है कि विपक्ष अब आतंकवाद के मुद्दे पर सरकार के साथ खड़ा होने के लिए तैयार है और यह संदेश देना चाहता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में एकता आवश्यक है।
इस प्रकार के पत्र और विशेष सत्र की मांग से यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में अब राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र की सुरक्षा और एकता को प्राथमिकता दी जा रही है।