
मज़दूर दिवस दुनिया के किन देशों में मनाया जाता है?
नई दिल्ली 1 मई 2025। मज़दूर दिवस (International Workers’ Day) 1 मई को दुनिया के लगभग 80 देशों में मनाया जाता है। इन देशों में खासतौर पर यूरोपीय देश, लैटिन अमेरिकी देश, और एशिया के कई देशों में इसे एक आधिकारिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है। इन देशों में यह दिन श्रमिकों के संघर्ष और उनके अधिकारों के लिए सम्मान की भावना के साथ मनाया जाता है।
2. मज़दूर दिवस मनाने के पीछे क्या कारण है?
मज़दूर दिवस की शुरुआत अमेरिका के शिकागो शहर में 1886 में हुए हेमार्केट हत्याकांड के बाद हुई। यह घटना तब घटी जब श्रमिकों ने 8 घंटे काम करने की मांग को लेकर हड़ताल की थी और पुलिस ने हड़ताल पर बैठे श्रमिकों पर गोली चला दी थी। इस दिन को मनाने का उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना, उनके संघर्ष को याद करना और उन्हें सम्मानित करना है।
3. मज़दूर दिवस कैसे मनाया जाता है?
मज़दूर दिवस का आयोजन दुनिया भर में विभिन्न प्रकार से होता है। भारत में इसे विभिन्न ट्रेड यूनियनों द्वारा रैलियों और प्रदर्शनों के माध्यम से मनाया जाता है, जबकि कई देशों में इसे सरकारी अवकाश के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से श्रमिकों की उपलब्धियों और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इसे सोशल मीडिया पर भी मनाया जाता है, जहां लोग अपने विचार साझा करते हैं।
4. संयुक्त राज्य अमेरिका में मजदूर दिवस का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
संयुक्त राज्य अमेरिका में “Labor Day” सितंबर के पहले सोमवार को मनाया जाता है, और इसका उद्देश्य श्रमिकों के योगदान की सराहना करना और उन्हें सम्मान देना है। यह दिन विशेष रूप से श्रमिक संघों और उनके संघर्षों को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है, जो श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ते हैं। इसे एक अवकाश के रूप में मनाने से श्रमिकों को उनके योगदान के लिए सम्मान और आराम मिलता है।
5. असल में मजदूर कौन है? इस दुनिया में काम तो सब करते हैं।
मज़दूर वह व्यक्ति होते हैं जो अपने श्रम से किसी उद्योग, निर्माण, सेवा, या अन्य क्षेत्र में काम करते हैं। यह वर्ग उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जिनके पास विशिष्ट कौशल या शिक्षा नहीं होती और वे अपनी मेहनत से अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। हाँ, सही है कि दुनिया में हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में काम करता है, लेकिन “मज़दूर” शब्द आमतौर पर उन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है जो शारीरिक श्रम करते हैं या कम वेतन पर कठिन काम करते हैं।
6. The History of the International Labour Movement जो 1888 में, जॉर्ज बांड ने लिखी थी, क्या लगता है इसका कोई फायदा है?
जॉर्ज बांड की किताब “The History of the International Labour Movement” ने मजदूर आंदोलन के इतिहास को बहुत विस्तार से समझाया और श्रमिकों के संघर्ष को सही रूप में प्रस्तुत किया। यह किताब विशेष रूप से श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई, उनके सामाजिक और आर्थिक संघर्षों को उजागर करती है, जिससे समाज को मजदूरों की जरूरतों और अधिकारों के प्रति जागरूकता मिली। इसका फायदा यह है कि इसने श्रमिकों की आवाज को वैश्विक स्तर पर एक मंच पर लाकर उनकी स्थिति को सुधारने की दिशा में योगदान दिया।
7. आज देश में बाल मजदूरी पर सख्त कानून बना हुआ है, क्या आपको लगता है कि बाल मजदूरी देश में अब खत्म हो गई है?
भारत में बाल मजदूरी पर सख्त कानून हैं, जैसे कि “बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986” और “नया बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016”, लेकिन फिर भी देश में यह समस्या पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। कई जगहों पर बच्चों को अवैध रूप से काम पर रखा जाता है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में और कमजोर वर्गों के बीच। इसका कारण जागरूकता की कमी और कानूनों का सही तरीके से लागू नहीं होना है।
8. बाल मजदूरी पर केंद्र और राज्य सरकारों ने अलग-अलग कानून बनाए हुए हैं, इसके बावजूद भी हम अक्सर फैक्ट्रीज़ में या फिर कहीं भी बच्चों को काम करते देखे हैं।
यह एक दुखद सचाई है कि बाल मजदूरी पर बने कानूनों के बावजूद यह समस्या खत्म नहीं हो पाई है। इसका मुख्य कारण है गरीब बच्चों और उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति, जो उन्हें काम करने के लिए मजबूर करती है। इसके अलावा, फैक्ट्री मालिकों और कामकाजी स्थानों पर इस तरह के कानूनों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की कमी भी इस समस्या को बढ़ाती है। इस पर सख्ती से काम करने की जरूरत है।
9. बाबा साहब ने लिखा था कि अगर मजदूरों को इज्जत नहीं दी जाती है तो देश हो या फिर प्रदेश हो उन्नति नहीं कर सकता। आपको लगता है कि इस देश में मजदूरों को सम्मान मिलता है?
बाबा साहब अंबेडकर ने सही कहा था कि बिना मजदूरों का सम्मान किए किसी भी समाज या देश का विकास नहीं हो सकता। भारत में आज भी मजदूरों को सही सम्मान नहीं मिलता है, विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को। उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है, और कई बार उनके श्रम का उचित मूल्य भी नहीं मिलता। हालांकि, कुछ बदलाव आ रहे हैं, लेकिन मजदूरों के लिए सम्मान और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।
10. जितनी अभी तक मजदूरों पर किताबें लिखी गई हैं, जितनी कवियों ने अपनी विचारधारा किताबों के माध्यम से दर्शाई है, मजदूरों को लेकर, क्या आपको लगता है कि वैसे काम हो रहा है मजदूरों के साथ?
कई किताबें और कविताएँ मजदूरों के संघर्ष और उनके अधिकारों पर लिखी गई हैं, लेकिन असल जीवन में इन विचारधाराओं का सही तरीके से पालन नहीं हो पा रहा है। मजदूरों को अक्सर वे अधिकार नहीं मिलते जिनकी वे हकदार हैं, और उनके साथ भेदभाव, शोषण और दुर्व्यवहार होता है। हालांकि समाज में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत सुधार की आवश्यकता है।
11. काम करने वाले मजदूरों को लोग इतनी नीची नजर से क्यों देखते हैं?
मजदूरों को नीची नजर से देखने का कारण समाज में व्याप्त वर्गीय भेदभाव और शहरी समाज की सोच है, जो मजदूरी और शारीरिक श्रम को निचला मानते हैं। यह सोच प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसमें उच्च वर्ग के लोग श्रम को नीच मानते थे। इसके बावजूद मजदूरों की मेहनत और संघर्ष समाज को चलाने के लिए आवश्यक हैं, लेकिन उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता जिसका वे हकदार हैं।