
पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) और उसकी मौजूदा बैठक की गंभीरता। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के मद्देनज़र यह संस्था किस भूमिका में आती है, यह समझना जरूरी है।
🔶 क्या है पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA)?
नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) पाकिस्तान की परमाणु हथियारों और मिसाइल नीति की सर्वोच्च नियंत्रक संस्था है। इसका गठन 2000 में किया गया था, और इसका मुख्यालय इस्लामाबाद में स्थित है।
मुख्य जिम्मेदारियाँ:
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🇵🇰 परमाणु और मिसाइल नीति पर अंतिम निर्णय लेना
पाकिस्तान की परमाणु नीति को कैसे संचालित किया जाए — इसका पूरा नियंत्रण NCA के पास होता है। -
⚔️ रणनीतिक बलों का नियंत्रण और आदेश देना
पाकिस्तान के स्ट्रेटेजिक फोर्सेज कमांड यानी मिसाइल और परमाणु हथियारों से लैस बलों को सीधे निर्देश देने का अधिकार इसी संस्था के पास है। -
🛰️ परमाणु हथियारों की सुरक्षा और लॉन्च अथॉरिटी
किस परिस्थिति में परमाणु हथियारों का उपयोग किया जा सकता है, इसका निर्णय NCA ही करती है। -
🧪 परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों की निगरानी और दिशा
वैज्ञानिक, तकनीकी, और सामरिक पहलुओं पर भी यह संस्था नीति बनाती और निर्णय लेती है।
🧑💼 NCA के प्रमुख सदस्य कौन होते हैं?
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प्रधानमंत्री (अध्यक्ष के रूप में)
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रक्षा मंत्री
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गृह मंत्री
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विदेश मंत्री
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सैन्य प्रमुख (COAS)
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DG Strategic Plans Division (SPD) — जो इस प्रणाली को टेक्निकल रूप से संभालता है।
SPD यानी स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन, NCA की एक कार्यकारी शाखा है जो रणनीतिक हथियारों की सुरक्षा, रख-रखाव और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
📍 वर्तमान संदर्भ में NCA मीटिंग क्यों अहम है?
भारत द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान के रक्षा ठिकानों को नष्ट किए जाने और लाहौर में HQ-9 वायु रक्षा प्रणाली के ध्वस्त होने के बाद, पाकिस्तान की सैन्य स्थिति पर भारी दबाव बना है।
पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में “फतेह-1” मिसाइल दागी, जिसे भारत की मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दिया। ऐसी स्थिति में NCA की मीटिंग इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान:
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अगली रणनीतिक प्रतिक्रिया की योजना बना रहा है
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परमाणु विकल्पों की समीक्षा कर सकता है (या कम से कम उसका दबाव के लिए उल्लेख कर सकता है)
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सैन्य, राजनैतिक और कूटनीतिक प्रतिक्रियाओं को सामूहिक रूप से तय करने जा रहा है
⚠️ इसका क्षेत्रीय असर क्या हो सकता है?
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तनाव का और बढ़ना: परमाणु नीति से जुड़ी किसी भी चर्चा का असर सीधे दोनों देशों की जनता और सीमा सुरक्षा पर पड़ता है।
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राजनयिक दबाव: वैश्विक समुदाय पर यह दबाव बन सकता है कि वो पाकिस्तान पर संयम बरतने का आग्रह करे।
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आंतरिक राजनीतिक स्थिति: पाकिस्तान सरकार शायद इस मीटिंग के ज़रिए घरेलू स्तर पर सख्त नेतृत्व दिखाना चाहती है।
🕊️ भारत का रुख?
भारत की नीति “नो फर्स्ट यूज़” (NFU) पर आधारित है, यानी भारत पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करता — लेकिन अगर हमला हुआ, तो जवाब निर्णायक होता है। भारत ने फिलहाल संयम और रणनीतिक बढ़त के साथ काम किया है।
NCA की यह बैठक महज एक समीक्षा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक मोड़ का संकेत हो सकती है।
हालात को देखते हुए यह ज़रूरी है कि दोनों देशों के बीच राजनयिक संवाद भी चालू रहे, ताकि युद्ध की दिशा में बढ़ते कदमों को रोका जा सके।