
अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मैख़ाने में,
जितनी हम छोड़ दिया करते हैं पीकर पैमाने में।
22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते अपने सबसे निचले स्तर पर हैं। एक के बाद एक फैसलों से भारत ने पाकिस्तान की रीढ़ तोड़ दी है। इस बार चोट सिर्फ सरहद पर नहीं, पानी की नसों पर की गई है — सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार के बाद पाकिस्तान की हालत उस प्यासे मुसाफ़िर जैसी हो गई है जो तपती रेत में पानी ढूंढ रहा हो।
“सुलगती रेत में पानी की अब तलाश नहीं,
मगर ये मैंने कब कहा की मुझे प्यास नहीं…”
आज पाकिस्तान इस हालत में है — न दर्द दिखा सकता है, न छुपा सकता है। सिर्फ रो सकता है।
भारत अपने फैसले से पीछे हटने के मूड में नहीं है, क्योंकि अब ये सिर्फ रणनीति नहीं, राष्ट्र की प्रतिष्ठा का सवाल है।
इसी बीच 15 मई की शाम भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर मुत्ताकी के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत ने पाकिस्तान में नई हलचल मचा दी है। ये बातचीत ठीक वैसी ही बेचैनी लेकर आई है, जैसी कभी ऑपरेशन सिंदूर की भारतीय स्ट्राइक्स ने लाई थी।
इस संवाद में अफगानिस्तान ने भारत से अधर में लटकी शहतूत बांध परियोजना को फिर से शुरू करने का आग्रह किया — ये वही परियोजना है जो काबुल नदी पर बनेगी और लगभग 20 लाख अफगान नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएगी।
भारत ने इस परियोजना के लिए 236 मिलियन डॉलर की वित्तीय और तकनीकी मदद देने की बात दोहराई है। यह परियोजना लगभग 400 हेक्टेयर जमीन पर बनेगी और तीन वर्षों में पूरी होने की उम्मीद है। यह न केवल अफगानिस्तान के विकास में भारत की भागीदारी को मजबूत करता है, बल्कि दोनों देशों के बीच एक मजबूत रणनीतिक गठबंधन की नींव भी रखता है।
लेकिन इस परियोजना से सबसे अधिक परेशानी किसे है? पाकिस्तान को।
क्योंकि काबुल नदी हिंदू कुश की पहाड़ियों से निकलती है और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में प्रवेश करती है। शहतूत बांध बनने से पाकिस्तान के इस प्रांत की पानी पर निर्भरता खतरे में पड़ जाएगी। खास बात ये है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कोई जल समझौता नहीं है, जिससे अफगानिस्तान पूरी तरह स्वतंत्र है कि वह काबुल नदी का उपयोग कैसे करे।
पाकिस्तान की घबराहट यहीं से शुरू होती है — न अधिकार, न जवाबदेही, सिर्फ प्यास और बेबसी।
जाते-जाते पाकिस्तान के लिए बस यही कहूंगी—
“लत तेरी ही लगी है, नशा शरेआम होगा,
हर लम्हा हमारी दुश्मनी का सिर्फ तेरे नाम होगा।”