
नई दिल्ली। अमेरिका की रणनीतिक सोच में भारत को लेकर बड़ा बयान सामने आया है। किंग्स कॉलेज लंदन में अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ और वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. वॉल्टर लैडविग ने कहा है कि भारत को अब पाकिस्तान की बजाय चीन जैसी बड़ी रणनीतिक चुनौती पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
डॉ. लैडविग ने दक्षिण एशिया की सुरक्षा रणनीतियों पर बात करते हुए कहा कि भारत एक परिपक्व और सुलझा हुआ देश है, और उसे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक अहम ताकत के रूप में विकसित होना चाहिए। अमेरिका लंबे समय से चाहता है कि भारत इस क्षेत्र में उसकी प्रमुख साझेदारी निभाए। ऐसे में पाकिस्तान से जुड़े क्षेत्रीय संघर्ष भारत को विकास और तकनीकी प्रगति से भटका सकते हैं, जो अमेरिका के हित में नहीं है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा, “बिना कारण के युद्ध देश को विकास से पीछे धकेलते हैं। क्षेत्रीय तनाव किसी भी कीमत पर फायदेमंद नहीं होते।” लैडविग ने यह भी जोड़ा कि यदि भारत बार-बार पाकिस्तान से उलझता रहेगा, तो वह एशिया की बड़ी तस्वीर और तकनीकी विकास से दूर हो सकता है।
भारत की बदलती रणनीति की भी की सराहना
डॉ. लैडविग ने भारत की मौजूदा रणनीति को लेकर भी अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अब भारत पहले जैसा नहीं रहा जो सिर्फ हमलों के सुबूत इकट्ठा करता था। अब भारत तुरंत जवाब देने में सक्षम है और कार्रवाई के बाद सुबूत भी नहीं छोड़ता। उन्होंने पुलवामा हमले का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय भारत ने आतंक के खिलाफ सख्त सैन्य प्रतिक्रिया दी, जिससे दुनिया ने भारत की नई नीति को देखा।
उन्होंने भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों की तारीफ की और कहा कि भारत अब आतंक के खिलाफ आतंक की भाषा में जवाब देता है।
निष्कर्ष:
डॉ. लैडविग का बयान इस ओर इशारा करता है कि भारत को अब छोटे क्षेत्रीय झगड़ों से ऊपर उठकर चीन जैसी वैश्विक शक्ति के खिलाफ रणनीति बनानी चाहिए। अमेरिका भी चाहता है कि भारत इंडो-पैसिफिक में उसकी साझेदारी को और मजबूत करे।