
नगर निगम अधिकारी अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं
गुरुग्राम, 27 मई: गुरुग्राम नगर निगम के आयुक्त प्रदीप दहिया के खिलाफ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने जमानती वारंट जारी किया है। यह आदेश 21 मई 2025 को जारी किया गया, जिसमें उन्हें 28 मई 2025 को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया है। यह कार्रवाई नगर निगम अधिकारियों की अदालत के आदेशों की अवहेलना और नागरिकों की समस्याओं के प्रति लापरवाही को लेकर की गई है।
मामला क्या है?
आयुक्त प्रदीप दहिया के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया।
गुरुग्राम के एक ठेकेदार, एमवीए, ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि नगर निगम के जूनियर इंजीनियर (जेई) और एक्शन की लापरवाही के कारण रविदास भवन के निर्माण कार्य की लगभग ₹20 लाख की बकाया राशि 2021 से लंबित है। अदालत ने इस मामले में प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन नगर निगम की ओर से कोई भी अधिकारी अदालत में पेश नहीं हुआ। प्रतिवादियों के वकील ने अदालत को बताया कि काम की अधिकता और सहायक कर्मचारियों की कमी के कारण वे उपस्थित नहीं हो सके। अदालत ने इसे अपराध की श्रेणी में मानते हुए आयुक्त प्रदीप दहिया के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया।
अधिकारियों की लापरवाही
ठेकेदारों को बार-बार अदालत की शरण में जाना पड़ता है
नगर निगम आयुक्त प्रदीप दहिया ने हाल ही में अधिकारियों की बैठक में शहर की सफाई व्यवस्था, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, पुराने कचरे की सफाई और मानसून के दौरान जलभराव की समस्या को प्राथमिकता के रूप में रखा था। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वे नागरिकों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से करें और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन अदालत के आदेशों की अवहेलना और अधिकारियों की लापरवाही ने उनकी कथनी और करनी में अंतर को उजागर किया है।
नागरिकों की प्रतिक्रिया
प्रदेश सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है।
शहरवासियों का कहना है कि जब नगर निगम अधिकारी अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो आम जनता की समस्याओं का समाधान कैसे होगा। नागरिकों और ठेकेदारों को बार-बार अदालत की शरण में जाना पड़ता है, फिर भी उन्हें राहत नहीं मिल रही है। लोगों का मानना है कि नगर निगम में बैठे भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों की वजह से न केवल नागरिक परेशान हैं, बल्कि प्रदेश सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है।
पुलिस की भूमिका
अदालत के आदेशों की अवहेलना को लेकर गंभीर सवाल उठाता है
सदर और सिविल लाइन थाना प्रभारी से जब इस मामले में प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करना उनकी ड्यूटी है, क्योंकि नगर निगम आयुक्त का निवास सिविल लाइन थाना क्षेत्र में आता है और कार्यालय सेक्टर 34 थाना सदर गुरुग्राम के अंतर्गत आता है।
यह मामला नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही और अदालत के आदेशों की अवहेलना को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। नागरिकों की समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और अदालत के आदेशों का पालन करना होगा।