
चलिए एक-एक करके समझते हैं:
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान के 4 प्रमुख सहयोगी (या ‘दोस्त’) देश:
तुर्की
पाकिस्तान और तुर्की के बीच मजबूत सैन्य, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंध हैं।
तुर्की अक्सर कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता है और भारत विरोधी बयान भी देता रहा है।
ईरान
भले ही ईरान और पाकिस्तान के बीच कई बार सीमा तनाव रहा हो, लेकिन दोनों देश “इस्लामी एकता” के नाम पर करीबी संबंध बनाए रखते हैं।
हाल में शहबाज शरीफ की ईरान यात्रा भी इसी दिशा में थी।
अज़रबैजान
अज़रबैजान ने भी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया है।
हाल ही में शाहबाज शरीफ की अज़रबैजान यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति अलीयेव को “भाई” कहा और भारत-पाक संघर्ष में समर्थन के लिए धन्यवाद भी दिया।
ताजिकिस्तान
पाकिस्तान और ताजिकिस्तान के रिश्ते रणनीतिक और सैन्य सहयोग पर आधारित हैं।
शहबाज शरीफ के दौरे में इस बात को दोहराया गया कि पाकिस्तान ताजिकिस्तान को भी अपना ‘भाई’ मानता है।
भारत-पाक युद्ध और इन देशों की भूमिका:
इन चारों देशों ने कभी भी भारत-पाक युद्ध (1947, 1965, 1971 या 1999) में सीधे तौर पर पाकिस्तान का सैन्य समर्थन नहीं किया है।
हां, कुछ मंचों पर जैसे OIC (इस्लामिक सहयोग संगठन) या UN में कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का समर्थन जरूर किया है।
अज़रबैजान और तुर्की ने कश्मीर पर भारत विरोधी बयानों के ज़रिए पाकिस्तान का समर्थन किया है।
क्यों पाकिस्तान इन्हें “भाई” कहता है?
ये चारों देश या तो मुस्लिम बहुल हैं या फिर इस्लामी देशों के समूह में पाकिस्तान के साथ खड़े रहे हैं।
पाकिस्तान की विदेश नीति में “इस्लामी एकता” की बात लंबे समय से होती रही है।
भारत के खिलाफ किसी भी प्रकार का वैचारिक या कूटनीतिक समर्थन पाकिस्तान को इन देशों से मिलता है — इसीलिए इन्हें “भाई” कहा जाता है।
निष्कर्ष:
पाकिस्तान के ये चार दोस्त हैं:
तुर्की
ईरान
अज़रबैजान
ताजिकिस्तान
इन देशों का पाकिस्तान के साथ सहयोग मुख्य रूप से राजनयिक, वैचारिक और रणनीतिक है।
सीधे सैन्य समर्थन का कोई पुख्ता उदाहरण भारत-पाक युद्धों में नहीं मिलता, लेकिन ये देश कूटनीतिक मंचों पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़े दिखते हैं।