
नेहा द्विवेदी की रिपोर्ट
2024 – शेख हसीना के लिए काला साल साबित हुआ!
जिस साल ने उनसे उनकी सबसे बड़ी ताकत, यानी सत्ता और जनविश्वास, दोनों छीन लिए। 5 अगस्त 2024 को जो कुछ भी हुआ, उसने बांग्लादेश की राजनीति की दशा और दिशा ही बदल दी।
शेख हसीना को उस दिन अपने ही देश में इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। लेकिन सवाल अभी भी वही है – आखिर ऐसा क्या हुआ कि 15 सालों से सत्ता में बैठी शेख हसीना को महज 45 मिनट में गद्दी छोड़नी पड़ी?
आखिर बांग्लादेश में तख्तापलट की वजह क्या रही?
बांग्लादेश में बार-बार जनता की नाराजगी, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन और अब सेना द्वारा हस्तक्षेप – ये सब कुछ अचानक नहीं हुआ। इसके पीछे सात बड़े कारण हैं, जिनमें से आज हम आपको पहले तीन प्रमुख वजहों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
1. आर्थिक संकट और जनता का टूटता भरोसा
भले ही बांग्लादेश की GDP वृद्धि दर 6% से ऊपर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत अलग थी।
कोरोना महामारी के बाद बांग्लादेश की आम जनता पूरी तरह से टूट गई थी। बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक असमानता ने लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया।
राजनीतिक स्थिरता के बावजूद सरकार के खिलाफ गुस्सा लगातार बढ़ता गया, और यही जनता की नाराजगी तख्तापलट की सबसे बड़ी वजह बनी।
2. धार्मिक ध्रुवीकरण और जातीय असंतुलन
शेख हसीना की सरकार पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव के आरोप लगने लगे।
देश में धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ता गया, और इससे सामाजिक तानाबाना बुरी तरह प्रभावित हुआ।
विपक्ष ने इस माहौल का फायदा उठाते हुए जनता को और भड़काया, जिसके बाद छात्र आंदोलनों और सार्वजनिक विरोध के बीच शेख हसीना की सरकार पर दबाव बढ़ता गया।
अंततः सत्ता से बेदखली का रास्ता यहीं से खुला।
3. आरक्षण खत्म करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जनता में असंतोष
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को मिलने वाले आरक्षण को खत्म कर दिया।
इसके साथ ही अन्य आरक्षण कोटे भी समाप्त किए गए, जिससे देश भर में व्यापक असंतोष फैल गया।
लोगों ने इस फैसले को ‘संवेदनहीन’ करार दिया और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन तेज कर दिए।
यह भी एक बड़ा कारण बना, जिससे जनता का सरकार से भरोसा उठ गया।
क्या तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में सबकुछ ठीक है?
शेख हसीना के जाने के बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया, जिन्होंने जल्द चुनाव कराने का वादा किया था।
लेकिन आज भी देश में अस्थिरता बनी हुई है। न तो चुनाव की कोई स्पष्ट तारीख है, न ही यूनुस सरकार के पास स्थायी समाधान।
जनता का गुस्सा अब अंतरिम सरकार पर है और प्रदर्शन अब भी जारी हैं।
निष्कर्ष:
बांग्लादेश में तख्तापलट केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि जनता के गुस्से का नतीजा है।
आर्थिक असमानता, धार्मिक भेदभाव और जनहित के खिलाफ फैसलों ने उस सरकार को गिरा दिया जो वर्षों से सत्ता पर काबिज थी।
अब सवाल यह है कि क्या अंतरिम सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी उतर पाएगी?