
संवाद संगोष्ठी पर रिपोर्ट
समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा भी प्रदान की।
आयोजक: आर्ट ऑफ लिविंग, अहिंसा विश्व भारती, विश्व शांति केंद्र
प्रस्तावना
बेंगलुरु / नई दिल्ली, 29 मई 2025 —आर्ट ऑफ लिविंग के मुख्यालय, बेंगलुरु में एक विशेष संवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेशजी और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकरजी ने सहभागिता की। संगोष्ठी का उद्देश्य अध्यात्म, समाज सेवा और विश्व शांति के क्षेत्रों में समन्वित दृष्टिकोण प्रस्तुत करना था।
मुख्य विषय-वस्तु
आचार्य लोकेशजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि “संवाद आत्मिक एवं सामाजिक विकास का एक सशक्त माध्यम है। यह न केवल व्यक्तिगत जागरूकता को बढ़ाता है बल्कि समाज में सद्भाव और सामंजस्य को भी प्रोत्साहित करता है।” उन्होंने धर्म और अध्यात्म को समाज सेवा से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे राष्ट्र निर्माण और विश्व कल्याण को नई दिशा मिल सके।
श्री श्री रविशंकरजी ने आचार्य लोकेशजी की प्रशंसा करते हुए कहा कि “विश्व शांति और सद्भावना के क्षेत्र में उनका योगदान अत्यंत प्रेरणादायक है। भारत के प्रथम विश्व शांति केंद्र की स्थापना उनके नेतृत्व में होना हमारे लिए गर्व का विषय है।”
प्रमुख बिंदु
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संवाद का उद्देश्य: आत्मबोध, सामाजिक जागरूकता और सद्भाव का निर्माण
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धर्म, अध्यात्म और समाज सेवा का समन्वय
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विश्व शांति केंद्र की स्थापना का उल्लेख
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दोनों आध्यात्मिक नेताओं द्वारा साझा दृष्टिकोण: “शांति संवाद से आरंभ होती है”
यह संवाद संगोष्ठी केवल एक आयोजन मात्र नहीं थी, बल्कि यह मानवता, सेवा और अध्यात्म की साझी यात्रा की ओर एक सार्थक कदम था। इस अवसर पर दिए गए संदेशों ने न केवल उपस्थित जनों को प्रेरित किया, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा भी प्रदान की।