
📍 गुरुग्राम, हरियाणा | 30 मई 2025
गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर और फरुखनगर तहसीलों में राजस्व विभाग से जुड़े घोटालों और फर्जी रजिस्ट्री मामलों ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 2024 में दर्ज कराई गई शिकायतों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे शिकायतकर्ता और आम जनता में रोष है।
🔍 क्या है मामला?
पूर्व सैनिक और आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव ने 27 अगस्त 2024 को एक लिखित शिकायत जिला उपायुक्त और उपमंडल अधिकारी को सौंपी थी। शिकायत में उन्होंने दो मामलों की ओर ध्यान दिलाया:
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बादशाहपुर तहसील में वार्षिक रजिस्ट्रेशन नंबर 6429, दिनांक 25 अगस्त 2023 की एक सेल डीड को “ततीमा डीड” (फर्जी दस्तावेज) बनाकर रजिस्ट्री की गई।
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फरुखनगर तहसील में वार्षिक रजिस्ट्रेशन नंबर 1106, दिनांक 8 अगस्त 2023 को नियमों के खिलाफ तबादले के नाम पर रजिस्ट्री कर दी गई।
शिकायतकर्ता ने इन दोनों रजिस्ट्री की प्रतियां भी संलग्न कर अधिकारियों को सौंपीं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
🧾 आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव का आरोप:
“मैं वर्षों से तहसीलों में हो रहे फर्जीवाड़े और सरकारी खजाने की लूट के खिलाफ RTI के माध्यम से आवाज़ उठाता आ रहा हूं, लेकिन अधिकारी शिकायतों को दबा देते हैं। दोषी अधिकारी बड़े नेताओं और अफसरों के संरक्षण में रहते हैं।”
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो वे मामले को न्यायालय तक लेकर जाएंगे और दोषियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
⚠️ शिकायतें, लेकिन कार्रवाई नहीं:
हरियाणा में राजस्व विभाग से जुड़े घोटालों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई का रिकॉर्ड बेहद कमजोर रहा है।
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अक्सर तहसीलदार या नायब तहसीलदार को निलंबित किया जाता है,
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लेकिन कुछ दिनों बाद ही उन्हें बहाल करके अन्य प्रभावशाली पदों पर तैनात कर दिया जाता है।
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इससे साफ है कि राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार की जांच दिखावे तक सीमित रह गई है।
📣 जनता और पारदर्शिता पर सवाल:
इस मामले ने हरियाणा सरकार और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है:
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क्या जिला उपायुक्त जानबूझकर मामले को दबा रहे हैं?
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क्या फर्जी रजिस्ट्रियों में संलिप्त अधिकारियों को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है?
भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहिष्णुता के दावों की पोल खोलता है।
गुरुग्राम के तहसीलों में फर्जी रजिस्ट्री और हेराफेरी का मामला सिर्फ सुर्खियों तक सीमित रह गया है। 2024 की शिकायत का अब तक जवाब न आना, प्रशासनिक संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहिष्णुता के दावों की पोल खोलता है।
अब देखना होगा कि क्या हरियाणा सरकार इस बार वास्तविक और कठोर कार्रवाई करती है, या यह मामला भी फाइलों और ट्रांसफरों की राजनीति में गुम हो जाएगा।
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