
प्रशासनिक जवाबदेही पर उठे सवाल
तहसील वजीराबाद में वासीका नंबर 7271 के तहत 615 वर्ग फुट के एक फ्लैट/फ्लोर की रजिस्ट्री की गई।
संवाददाता
गुरुग्राम, 5 जून 2025 |
वजीराबाद तहसील एक बार फिर से गंभीर आरोपों के घेरे में है, जहां एक बार फिर फर्जी प्रॉपर्टी आईडी के आधार पर रजिस्ट्री किए जाने का मामला सामने आया है। इस घटना ने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि तहसील में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा किया है।
क्या है मामला?
14 जुलाई 2022 को तहसील वजीराबाद में वासीका नंबर 7271 के तहत 615 वर्ग फुट के एक फ्लैट/फ्लोर की रजिस्ट्री की गई। जांच में सामने आया है कि यह फ्लैट दस्तावेजों में कहीं मौजूद नहीं था। जमीन खसरा नंबर 131/2/2 में थी, जिसमें कुल 9 बिस्वा 12 बिस्वंशी कृषि भूमि शामिल है। इस भूमि के मालिक बिजेंद्र, शैलेन्द्र और हेमलता बताए गए हैं।
हैरान करने वाली बात यह रही कि इस रजिस्ट्री में जिस प्रॉपर्टी आईडी का उपयोग किया गया, वह DLF फेज-3 की एक अलग रिहायशी संपत्ति (आईडी 290C3362U391) की थी, जो रजनी देवी के नाम दर्ज है। इस संपत्ति का विक्रेताओं से कोई संबंध नहीं था, फिर भी उसे रजिस्ट्री में दर्शाया गया।
प्रशासनिक जवाबदेही पर उठे सवाल
12 अगस्त 2024 को इस मामले की जांच के आदेश एसडीएम बादशाहपुर द्वारा दिए गए। तहसीलदार वजीराबाद से रिपोर्ट मांगी गई, जिसके जवाब में तहसीलदार ने 14 मई 2025 को एक पत्र के माध्यम से लिखा कि रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत गलत प्रॉपर्टी आईडी के आधार पर रजिस्ट्री को रोके जाने का कोई प्रावधान नहीं है।
लेकिन जानकारों के अनुसार, हर रजिस्ट्री प्रक्रिया शहरी स्थानीय निकाय (ULB) की साइट से लिंक होती है, जहां प्रॉपर्टी आईडी की पूरी जानकारी प्रमाणित की जाती है। ऐसे में तहसीलदार का तर्क तकनीकी और कानूनी रूप से कमजोर माना जा रहा है।
स्थानीय विरोध और पूर्ववृत्त
वजीराबाद तहसील पहले भी इसी तरह के मामलों में चर्चाओं में रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस तहसील में वर्षों तक पदों पर टिके रहने वाले तहसीलदारों की गहरी जान-पहचान और पहुंच होती है, जिससे वे बेधड़क काम करते हैं। स्थानीय लोग अब इस प्रकरण को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।