
श्लोक का सारांश:
यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत:…
इस श्लोक में उस परमेश्वर को नमस्कार है—
जिसकी ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र तथा मरुद्गण स्तुति करते हैं,
जिसके विषय में वेद, सामवेद, उपनिषद, और ऋषिगण गान करते हैं,
जिसे योगीजन, ध्यान में तल्लीन होकर अंतर्मन से देखते हैं,
जिनका आदि-अंत देवता और असुर भी नहीं जानते।
यह श्लोक ईश्वर की अव्यक्त, सर्वव्यापी और अगम्य सत्ता को दर्शाता है।
🔭 आज के पंचांग का संक्षेप:
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दिन: मंगलवार, 10 जून 2025
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तिथि: ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्दशी (11:36 प्रातः तक)
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नक्षत्र: अनुराधा → ज्येष्ठा (सायं 6:02 बजे के बाद)
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योग: सिद्ध → साध्य
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चंद्रमा: वृश्चिक राशि में
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शुभ दिशा: दक्षिण-पूर्व
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राहुकाल: सायं 4:00 से 5:30 बजे तक
🌟 आज के पर्व:
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वट सावित्री व्रत
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श्री सत्यनारायण व्रत
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गण्डमूल प्रारंभ: सायं 6:02 से
🌅 ग्रह स्थिति:
ग्रह | राशि | नक्षत्र |
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सूर्य | वृष | मृगशिरा |
चंद्र | वृश्चिक | अनुराधा → ज्येष्ठा |
मंगल | सिंह | मघा |
बुध | मिथुन | आर्द्रा |
गुरु | मिथुन | मृगशिरा |
शुक्र | मेष | अश्विनी |
शनि | मीन | उत्तर भाद्रपद |
राहु | कुंभ | पूर्व भाद्रपद |
केतु | सिंह | उत्तर फाल्गुनी |
आपका दिन मंगलमय हो!