
प्रश्नों के घेरे में एयर इंडिया और इंजीनियरिंग विभाग
📍 अहमदाबाद, गुजरात | दिनांक: 13 जून 2025
भारत ही नहीं, दुनिया को झकझोर देने वाली अहमदाबाद एयर इंडिया हादसे ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारी हवाई सुरक्षा व्यवस्था कितनी चूकपूर्ण और असंवेदनशील हो चुकी है।
घटना में एयर इंडिया की एक उड़ान में आग लगने से लगभग 32 यात्रियों की जलकर मौत हो गई। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। आज भी लोग राख में अपने परिजनों को ढूंढ़ते नजर आ रहे हैं — अपनों की तलाश में वो बेचैनी और खामोशी हर चेहरे पर एक दर्द बन कर उभरी है।
🔍 प्रश्नों के घेरे में एयर इंडिया और इंजीनियरिंग विभाग:
एयर इंडिया की ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है, केवल जांच की औपचारिकताएं और बैठकों की कवायद की जा रही है।
सवाल यह भी है कि –
➡️ जिस इंजीनियरिंग टीम ने विमान को “फिट टू फ्लाई” क्लीन चिट दी थी, क्या उनसे भी जवाबदेही तय की जाएगी?
या फिर हमेशा की तरह लीपापोती और रिपोर्टों की फाइलें बंद कर दी जाएंगी?
📜 एयर इंडिया – हादसों का इतिहास
यह कोई पहली बार नहीं है जब एयर इंडिया सवालों के घेरे में आई हो। इतिहास के कुछ दर्दनाक हादसों पर एक नज़र:
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3 नवंबर 1950 – फ्लाइट 245, माउंट ब्लांक, फ्रांस → 48 मौतें (खराब मौसम, नेविगेशन चूक)
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24 जनवरी 1966 – फ्लाइट 101, माउंट ब्लांक, फ्रांस → 117 मौतें
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1 जनवरी 1978 – फ्लाइट 855, अरब सागर, मुंबई → 213 मौतें (उड़ान उपकरण खराबी)
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21 जून 1982 – मुंबई रनवे दुर्घटना → 17 मौतें
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23 जून 1985 – फ्लाइट 182 (कनिष्क), अटलांटिक महासागर → 329 मौतें (आतंकी बम विस्फोट)
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22 मई 2010 – फ्लाइट 812, मंगलौर → 158 मौतें (रनवे से आगे बढ़ा विमान)
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7 अगस्त 2020 – फ्लाइट 1344, कोझिकोड → 21 मौतें (खराब मौसम)
🧭 अब वक्त है जवाबदेही का, केवल मुआवज़ा नहीं:
देश और दुनिया यह जानना चाहती है कि –
✳️ क्या हर हादसे के बाद हम सिर्फ शोक और बयानबाज़ी तक सीमित रह जाएंगे?
✳️ क्या सिस्टम में बैठे लोग, जिनके दस्तखत से जानें उड़ती हैं, कभी उत्तरदायी ठहराए जाएंगे?
इस त्रासदी ने एक बार फिर विमानन सुरक्षा, इंजीनियरिंग निरीक्षण, और मानव जीवन की सस्ती कीमत पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
🙏 श्रद्धांजलि:
“जिन्हें राख में ढूंढ़ा जा रहा है,
वो कभी किसी की मुस्कान थे।
कुछ अपने लौट के घर ना आए,
अब सिर्फ़ तस्वीरों में कहानी हैं।”