
क्यों नहीं चाह रहे लोग ज्यादा बच्चे?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने चेताया, जनसंख्या नियंत्रण की जगह अब ‘जनसंख्या संतुलन’ पर देना होगा ध्यान
📅 नई दिल्ली | 14 जून 2025
कभी भारत में “हम दो, हमारे दो” का नारा गूंजता था। 60, 70 और 80 के दशक में इसे सुखी जीवन की कुंजी माना जाता था। लेकिन वक्त बदला है और अब संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की महिलाएं औसतन दो बच्चों से भी कम को जन्म दे रही हैं। भले ही यह जनसंख्या नियंत्रण की दृष्टि से लक्ष्य प्राप्ति हो, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम देश के लिए चिंताजनक हो सकते हैं।
📉 गिरता जन्म दर और बढ़ता खतरा
भारत की वर्तमान जन्म दर 1.9 प्रतिशत पर आ चुकी है, जो 2011 में 2.2 और 65 साल पहले लगभग 6 प्रतिशत हुआ करती थी। यानी एक समय की 6 संतानों वाली माँ अब दो बच्चों को भी जन्म नहीं दे रही।
यह क्यों खतरे की घंटी है?
जिन देशों में जन्म दर 2.1 से नीचे गई, वे तेजी से “बूढ़ी आबादी” वाले देशों की श्रेणी में आ गए। युवाओं की कमी से आर्थिक विकास ठप होने लगा और सामाजिक संरचनाओं पर दबाव बढ़ा।
🌍 भारत के मुकाबले अन्य देशों की जन्म दर
देश | जन्म दर (औसत प्रति महिला) |
---|---|
भारत | 1.9 |
अमेरिका | 1.6 |
जापान | 1.2 |
फ्रांस | 1.6 |
ब्रिटेन | 1.5 |
दक्षिण कोरिया | 0.7 |
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत भी जल्द ही उन देशों की कतार में आ सकता है जहां काम करने वाले युवाओं की कमी हो रही है और बुजुर्ग आबादी का बोझ बढ़ रहा है।
क्या
भारत भी समय से पहले बूढ़ा हो जाएगा?
वर्तमान में भारत की कुल आबादी 146 करोड़ हो चुकी है और यह चीन को भी पीछे छोड़ चुकी है। 2065 तक आबादी 170 करोड़ तक पहुंच सकती है। लेकिन इसके बाद गिरावट शुरू होगी।
🔹 भारत की जनसंख्या संरचना (2025):
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0-14 वर्ष: 24.2%
-
15-64 वर्ष (वर्किंग एज): 68.7%
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65 वर्ष से ऊपर: 7%
🔹 अनुमान (2090 तक):
-
50% आबादी 40 वर्ष से अधिक उम्र की होगी।
इसका अर्थ है कि भारत की सबसे बड़ी ताकत – युवाओं की जनसंख्या – धीरे-धीरे कम होती जाएगी और देश की वर्किंग फोर्स कमजोर पड़ जाएगी।
🚼 दूसरे देशों में अब भी जन्म दर अधिक
देश | जन्म दर (औसत प्रति महिला) |
---|---|
अफगानिस्तान | 4.7 |
यमन | 4.5 |
सूडान | 4.2 |
पाकिस्तान | 3.5 |
गाज़ा | 3.2 |
इराक | 3.2 |
बांग्लादेश | 2.1 |
इन देशों की तुलना में भारत तेजी से जन्म दर के मामले में पिछड़ रहा है। और यदि यह सिलसिला जारी रहा, तो भारत भी “अमीर बनने से पहले बूढ़ा” हो जाएगा।
🤔 क्यों नहीं चाह रहे लोग ज्यादा बच्चे?
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अध्ययन बताते हैं कि भारत में जन्म दर घटने के पीछे ये प्रमुख कारण हैं:
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महंगाई: बच्चों के पालन-पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य का खर्च अधिक।
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घर छोटा, सपने बड़े: 20–25% लोग छोटे घर की वजह से ज्यादा बच्चे नहीं चाहते।
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नौकरी और करियर प्राथमिकता: कई लोग स्थिर रोजगार न होने के कारण संतान की योजना टालते हैं।
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लिव-इन और शादी में देरी: बदलती जीवनशैली और विवाह में देरी।
🎁 बच्चे पैदा करने पर इनाम दे रही हैं सरकारें
कम होती जन्म दर से चिंतित कई देशों ने जनसंख्या प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं:
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चीन: तीसरे बच्चे पर ₹11 लाख तक की आर्थिक सहायता।
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जापान, दक्षिण कोरिया: मैटरनिटी लीव, टैक्स छूट, सब्सिडी।
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भारत (आंध्र प्रदेश): दूसरे बच्चे पर ₹15,000 की सहायता।
अब केंद्र सरकार भी इस दिशा में विभिन्न योजनाओं पर विचार कर रही है।
📢 जनसंख्या नियंत्रण से जनसंख्या स्थिरता की ओर
कभी जहां जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग होती थी, आज स्थिति पलट गई है। अब आवाजें उठ रही हैं “जनसंख्या स्थिरता कानून” के लिए। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इस दिशा में समय रहते रणनीति नहीं बनाई गई, तो भारत की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ सकता है।