
एयर ट्रैफिक कंट्रोल और पायलटों के बीच संचार विफलता रडार तकनीक की सीमाएं और अभ्यास की कमी के कारण यह टक्कर हुई।
दुनिया की सबसे भीषण मिड-एयर टक्कर के रूप में दर्ज है।
🗓️ चंडीगढ़ | 14 जून 2025
✍️ विशेष संवाददाता
2 नवंबर 1996… तारीख जिसने भारतीय आकाश को खून के आंसू रुला दिया। हरियाणा के चरखी दादरी के ऊपर आसमान में टकराए दो यात्री विमान और पलभर में लाशों से पट गई धरती। यह अब भी दुनिया की सबसे भीषण मिड-एयर टक्कर के रूप में दर्ज है।
✈️ हवा में टकराए दो विमान, पलभर में खाक हो गए सपने
दिल्ली से उड़ान भर चुकी सऊदी अरब एयरलाइंस की फ्लाइट 763 (बोइंग 747) और दिल्ली में लैंडिंग के लिए उतर रहा कजाकिस्तान एयरलाइंस का विमान 1907 (इल्युशिन Il-76) — दोनों तकनीकी गड़बड़ी और संचार की चूक के चलते चरखी दादरी के टिकाण गांव के ऊपर आमने-सामने आ गए।
टक्कर इतनी भयानक थी कि दोनों विमान आग के गोले में तब्दील हो गए, और उनके हिस्से गाँवों की ज़मीन पर बिखर गए। 349 यात्रियों और क्रू मेंबर्स की मौके पर ही जलकर मौत हो गई। कोई नहीं बचा।
🇮🇳 भारत के सबसे अधिक नागरिक थे सवार
इस दर्दनाक हादसे में मारे गए लोगों में सबसे अधिक संख्या भारतीय नागरिकों की थी। कुल 349 मृतकों में से 298 शवों को अस्पताल तक लाया गया। उनमें भी सिर्फ 118 शवों की पहचान हो सकी।
51 शवों के अवशेष तक नहीं मिले। मौत इतनी विभत्स थी कि पहचान के लिए डीएनए टेस्ट तक संभव नहीं हो पाए।
🕊️ धर्मों की सीमाएं टूटीं, हुआ सामूहिक अंतिम संस्कार
इस भयावह हादसे के बाद, चरखी दादरी के चिड़िया मोड़ स्थित प्राचीन कब्रिस्तान में जेसीबी से बड़े-बड़े गड्ढे खोदकर सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया।
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हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई — सभी धर्मों के लोगों के शव थे।
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एक साथ अंत्येष्टि, और
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एकता का मंजर, जो आज भी लोगों की आंखें नम कर देता है।
🕍 आज भी मौजूद है स्मृति-स्तंभ, जो दिलाता है मौत के उस मंजर की याद
चरखी दादरी के कब्रिस्तान में आज भी एक संगमरमर का स्मारक है, जिस पर दोनों विमानों के नंबर, यात्री संख्या और मृतकों की राष्ट्रीयता अंकित है।
सेना से सेवानिवृत्त कैप्टन मोहम्मद शरीफ, जो उस वक्त मुस्लिम इंतजामिया कमेटी के प्रमुख थे, बताते हैं कि यह हादसा पूरी दुनिया के लिए चेतावनी था — कि विमानन में सुरक्षा और संचार चूक की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
💔 1996 से 2025: 29 साल बाद भी नहीं भरे ज़ख्म
हाल ही में अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने एक बार फिर चरखी दादरी की भयावहता की यादें ताजा कर दीं।
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जो परिवार उस हादसे में उजड़ गए,
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जिनके अपनों की सिर्फ राख ही मिली,
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उनकी पीड़ा आज भी जैसे कल की घटना हो।
📜 यह हादसा क्यों हुआ?
विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय जांच रिपोर्ट के अनुसार:
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एयर ट्रैफिक कंट्रोल और पायलटों के बीच संचार विफलता
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रडार तकनीक की सीमाएं
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और अभ्यास की कमी के कारण यह टक्कर हुई।
इसके बाद भारत में ट्रैफिक कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (TCAS) को अनिवार्य कर दिया गया।
🔍 सबक जो पूरी दुनिया ने सीखा
इस मिड-एयर टक्कर ने भारत ही नहीं, पूरी दुनिया को यह सिखाया कि हवाई सुरक्षा में ज़रा सी चूक भी सैकड़ों जिंदगियों को लील सकती है। आज के आधुनिक एविएशन सिस्टम की नींव, कई मायनों में, चरखी दादरी की त्रासदी पर ही टिकी हुई है।