
क्यों बारिश में हर बार डूब जाता है साइबर गुरुग्राम कौन पी जाता है पानी निकासी के करोड़ो ?
Hightlight
गुड़गांव आखिर हर साल क्यों डूब जाता है
एक हिस्सा ऊंचा तो दूसरा काफी नीचा
प्राकृतिक नाले का निकास आखिर क्यों नहीं
700 करोड़ की लागत आखिर कहां जाती है
साइबर सिटी गुरुग्राम एक बार फिर से पानी से लबालब भर चुका है थोड़ी सी बारिश क्या होती है पूरा शहर भीग जाता है यहां की सड़को का हाल नाले जैसा हो चूका है अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि शहर की सबसे बड़ी बादशाहपुर ड्रेन का निर्माण कई सालों से अटका हुआ है और यही एक महत्वपूर्ण और प्रमुख कारणों में से एक है दरअसल बादशाहपुर ड्रेन गुरुग्राम में एक जल निकासी प्रणाली है जो बरसाती पानी को इकट्ठा करके नजफगढ़ ड्रेन में ले जाती है। यह ड्रेन 26 किलोमीटर लंबी है और इसे 2010 में बनाया गया था। हालांकि, कई बार यह ड्रेन जलभराव की समस्या से निपटने में विफल रही है, खासकर भारी बारिश के दौरान, जिससे गुरुग्राम में बाढ़ आ जाती है। अब सवाल ये है की पानी निकासी पर जब हर साल करोड़ों रूपए खर्च किये जाते है तो ये विकास दिखाई क्यों नहीं देती हालांकि ऐसा नहीं है की इससे बचने का कोई उपाय नहीं है उपाय तो है लेकिन अधिकारीयों को इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है। गुरुग्राम में जलभराव की बड़ी वजह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का ना होना भी है. जो हैं भी वो रखरखाव के अभाव में बंद पड़े हैं. अगर शहर में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का जाल बिछाया जाए तो शायद इस समस्या से निजात मिल सके. लेकिन अभी की तस्वीरें तो डराने वाली हैं….कई बार तो ऐसा भी हुआ है की गुरुग्राम के राजीव चौक पर पानी इतना भर जाता है की लोगों की डुबके मरने की खबर आती है लेकिन इसके बाद भी प्रशासन की नींद नहीं खुली है.इस दौरान आपको बता दें की इस जल भराव की स्थिति ने मानेसर नगरनिगम और गुरुग्राम नगरनिगम की पोल खोल के रख दी है हर साल 35 से 40 करोड़ रुपए सिर्फ जल निकासी को बनाने में खर्च किया जाता है लेकिन सड़कें स्थिति ऐसी की ऐसी ही रहती है चंद घंटों की बारिश में गुरुग्राम की सड़कों पर सैलाब उमड़ जाता है. आपको याद होगा कि कैसे साल 2016 में बारिश की वजह से ‘महाजाम’ लग गया था. करीब 24 घंटे से ज्यादा वक्त तक लोग सड़कों पर फंसे रह गए थे, उस 2016 के महाजाम को भी 9 साल बीत चुके हैं, उसके बावजूद भी गुरुग्राम जिला प्रशासन ने अभी तक कोई सबक नहीं लिया है. आज भी हालात जस के तस हैं.