
पुलिस कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रिया पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद खलबली मच गई।
नई दिल्ली, 24 जून 2025 – उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दादरपुर गांव में एक ऐसी शर्मनाक घटना सामने आई है जिसने पूरे हिंदू समाज की इज्जत को ठेस पहुंचाई है। यहां एक भागवत आचार्य और उनके सहयोगियों के साथ जातिवाद के नाम पर अमानवीय व्यवहार किया गया।
भागवत आचार्य मुकुटमणी और उनके साथियों को कथावाचन के दौरान उनकी जाति पूछने पर स्थानीय ग्रामीणों ने बेरहमी से पीटा। इस पीट-पीट कर उनके बाल मुंडवा दिए गए, चोटी काटी गई और नाक रगड़वाई गई। इसके बाद उन्हें गांव वालों के पैर छू कर माफी मांगनी पड़ी। साथ ही दो अन्य साथियों के भी सिर मुंडवाए गए और उनकी बाइक की हवा निकालकर दोबारा पंप करवाई गई।
इस पूरे कृत्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद खलबली मच गई। वीडियो में कुछ लोग इस जातिवाद पर आधारित इस अमानवीय व्यवहार को देखकर तालियां भी बजा रहे थे, जो इस घटना की कुप्रथा और मानसिकता की भयावहता को दर्शाता है।

पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
जातिवाद पर विरोध और सवाल
इस घटना पर समाज के कई हिस्सों से कड़ी निंदा हुई। समाज के ठेकेदारों और जाति के नाम पर भक्ति को बांटने वालों पर सवाल उठाए गए। भगवान राम ने शबरी से उसकी जाति पूछ कर बेर नहीं खाई थी, भगवान कृष्ण ने गोपियों से जाति के आधार पर रास नहीं रचा था और सुदामा से मित्रता जाति देखकर नहीं की थी। ऐसे में यह सोच कि भगवान केवल बड़े जाति वालों के हैं, पूरी तरह गलत और समाज को विभाजित करने वाली है।
यह घटना इंसानियत को तार-तार करने वाली, समाज को भीतर से तोड़ने वाली और पूरी हिंदू समाज की इज्जत पर चोट पहुंचाने वाली है। यह थप्पड़ केवल दो लोगों के लिए नहीं, बल्कि भक्ति और समानता के विचार पर था।
पुलिस कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रिया
पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
इसी मामले पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा:
“हमारा संविधान जातिगत भेदभाव की अनुमति नहीं देता है। यह व्यक्ति की गरिमा और प्रतिष्ठा के अधिकार के विरुद्ध अपराध है। सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ़्तारी होनी चाहिए और यथोचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। अगर आगामी तीन दिनों में कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो हम ‘पीडीए के मान-सम्मान की रक्षा’ के लिए बड़े आंदोलन का आह्वान करेंगे। पीडीए का मान-सम्मान सर्वोपरि है।”
सामाजिक दृष्टिकोण
यह घटना आज के विकसित भारत में भी जाति के नाम पर फैले विभाजन और कुंठित मानसिकता की झलक है। यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि भक्ति और ईश्वर के प्रति श्रद्धा में भी जाति आधारित भेदभाव का प्रवेश कैसे हो गया है।
भगवान सबके हैं, और किसी एक जाति विशेष के लिए नहीं। सभी को भक्ति करने का अधिकार समान रूप से है। अगर हम जाति के नाम पर एक-दूसरे को अपमानित करना जारी रखेंगे तो हमारा समाज टूटेगा।
इटावा की यह घटना केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं है, बल्कि समाज में व्याप्त जातिवाद और असहिष्णुता का प्रतीक है। ऐसे कुप्रथाओं को समाज से जड़ से उखाड़ फेंकना जरूरी है ताकि सभी धर्म और जाति के लोग समान रूप से अपने धर्म और आस्था का निर्वाह कर सकें।