
वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही आषाढ़ अमावस्या का विशेष महत्व है। यह दिन पितरों के स्मरण, दान-पुण्य, व्रत, और आत्मिक शुद्धि के लिए उत्तम है।
🪔 शुभ वंदना से दिन की शुरुआत 🪔
“एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्।
विघ्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥”
भावार्थ:
जो एकदंत, विशालकाय, लम्बोदर, गजानन स्वरूप और विघ्नों का नाश करने वाले भगवान हेरम्ब हैं — उन्हें मैं नमन करता हूँ।
📅 विक्रम संवत 2082 – आज का पंचांग
🔹 संवत्सर नाम: सिद्धार्थी
🔹 संवत्सर के राजा व मंत्री: सूर्य
🔹 मास: आषाढ़ (कृष्ण पक्ष)
🔹 तिथि: अमावस्या
🔹 वार: बुधवार
🔹 ऋतु: वर्षा
🔹 सूर्य उदय: प्रातः 5:29 बजे
🔹 सूर्य अस्त: सायं 7:19 बजे
🌙 चंद्रमा की स्थिति
🔹 चंद्र राशि: मिथुन
🔹 राशि स्वामी: बुध
🔹 नक्षत्र:
-
प्रात: 5:14 से मृगशिरा नक्षत्र (चरण 4)
-
10:41 से आर्द्रा नक्षत्र (चरण 1)
-
सायं 4:12 से आर्द्रा (चरण 2)
-
रात्रि 9:44 से आर्द्रा (चरण 3)
🔹 नक्षत्र स्वामी: मंगल/राहु
✨ आज का योग
🔸 योग का नाम: वृद्धि
🔸 आरंभ: प्रातः 6:00 बजे
🔸 विशेषता: यह शुभ योग है – कोई भी नया कार्य प्रारंभ करने पर उसमें उन्नति और वृद्धि होती है।
🔥 आज का पर्व
🪴 विशेष तिथि: आषाढ़ अमावस्या
➡ पितृ तर्पण एवं स्नान-दान का विशेष महत्व।
🧭 दिशा ज्ञान एवं यात्रा संदर्भ
🔹 शुभ दिशा: दक्षिण, पूर्व, दक्षिण-पश्चिम
🔹 दिशा शूल: उत्तर दिशा (यदि आवश्यक हो तो धनिया या तिल खाकर यात्रा करें)
🪐 ग्रहों की स्थिति
ग्रह | राशि | नक्षत्र | चरण | नक्षत्र स्वामी |
---|---|---|---|---|
🌞 सूर्य | मिथुन | आर्द्रा | 1 व सायं से 2 | राहु |
🌕 चंद्र | मिथुन | मृगशिरा→आर्द्रा | 4→1→2→3 | मंगल/राहु |
🔥 मंगल | सिंह | मघा | 3→4 | केतु |
🧠 बुध | कर्क | पुनर्वसु→पुष्य | 4→1 | गुरु→शनि |
📿 गुरु (अस्त) | मिथुन | आर्द्रा | 1 | राहु |
💃 शुक्र | मेष | भरणी | 4 | शुक्र |
🌊 शनि | मीन | उत्तर भाद्रपद | 2 | शनि |
🎥 राहु | कुंभ | पूर्व भाद्रपद | 3 | गुरु |
🛐 केतु | सिंह | उत्तरा फाल्गुनी | 1 | सूर्य |
⛔ राहुकाल: दोपहर 12:00 से 2:00 बजे तक
🔸 इस दौरान कोई भी शुभ कार्य न करें।
🕒 दैनिक लग्न सारणी
समय | लग्न |
---|---|
प्रात: 4:46 तक | वृष |
6:59 तक | मिथुन |
9:20 तक | कर्क |
11:38 तक | सिंह |
1:54 तक | कन्या |
4:13 तक | तुला |
6:32 तक | वृश्चिक |
8:35 तक | धनु |
10:18 तक | मकर |
11:47 तक | कुम्भ |
🙏 आज का संदेश:
वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही आषाढ़ अमावस्या का विशेष महत्व है। यह दिन पितरों के स्मरण, दान-पुण्य, व्रत, और आत्मिक शुद्धि के लिए उत्तम है।
ग्रह स्थिति अनुकूल है – बुद्ध, शुक्र और मंगल के प्रभाव से बुद्धि, संबंध और ऊर्जा में सकारात्मक उन्नति हो सकती है।