
जयपुर राजस्थान 27 june
जयपुर के ऐतिहासिक श्री गोविंद देवजी मंदिर में शुक्रवार को रथयात्रा महोत्सव के अवसर पर श्रद्धा, भक्ति और उल्लास का अनुपम दृश्य देखने को मिला। भगवान श्री गोविंद देवजी को भव्य चांदी के रथ पर विराजमान कर मंदिर परिसर में चार परिक्रमाएं करवाई गईं, जिसे देखने के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
महोत्सव की शुरुआत प्रातःकालीन मंगला झांकी के दर्शन से हुई। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार और विधिपूर्वक ठाकुर जी का अभिषेक किया गया। भगवान को लाल रंग के विशेष लप्पा जामा वस्त्र पहनाए गए और आकर्षक आभूषणों से श्रृंगारित किया गया।
भक्तों ने श्रद्धापूर्वक ठाकुर जी को पांच प्रकार की दालों से बने भोग और विभिन्न ऋतुओं के ताजे फलों का अर्पण किया। वहीं, सुबह 6 बजे से ही मंदिर परिसर हरिनाम संकीर्तन और मंगलाचरण की गूंज से भक्तिरस में डूबा रहा। गौड़ीय वैष्णव मंडली और मंदिर परिवार ने वातावरण को पूरी तरह आध्यात्मिक रंग में रंग दिया।
महोत्सव की मुख्य कड़ी में मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने गौर गोविंद जी को चांदी के रथ पर विधिपूर्वक विराजित किया। चार भव्य परिक्रमा पूरी करने के बाद भगवान को पुनः गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया।
धूप आरती और अंतिम दर्शन के साथ महोत्सव का समापन हुआ। इस दिव्य आयोजन में हज़ारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और ठाकुर जी के दर्शन कर स्वयं को धन्य माना।
प्रातःकाल मंगला झांकी से हुआ शुभारंभ
महोत्सव की शुरुआत प्रातःकाल मंगला झांकी के दर्शनों से हुई, जहां बड़ी संख्या में भक्तों ने ठाकुर जी के प्रथम दर्शन किए। इसके बाद शास्त्र सम्मत वैदिक विधियों से ठाकुर श्री गोविंद देवजी का अभिषेक किया गया। विशेष रूप से तैयार किए गए लाल रंग के लप्पा जामा वस्त्र भगवान को पहनाए गए और सुंदर आभूषणों से उनका श्रृंगार किया गया।
पांच दालों का भोग और हरिनाम संकीर्तन से गूंजा मंदिर परिसर
भगवान को श्रद्धापूर्वक पांच प्रकार की दालों से बने भिजौना और पांच ऋतुओं के ताजे फलों का भोग अर्पित किया गया। मंदिर परिसर सुबह छह बजे से ही भक्ति संगीत और हरिनाम संकीर्तन की गूंज से गुंजायमान रहा। गौड़ीय वैष्णव मंडली और मंदिर परिवार द्वारा आयोजित संकीर्तन ने वातावरण को पूरी तरह भक्तिरस में रंग दिया।
चांदी के रथ पर गौर गोविंद जी की भव्य परिक्रमा
महोत्सव के मुख्य आयोजन में मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने गौर गोविंद जी को चांदी से निर्मित भव्य रथ पर विराजित किया। भगवान की रथयात्रा मंदिर परिसर में चार भव्य परिक्रमाओं के रूप में निकाली गई। भक्तों ने “जय श्री गोविंद”, “ठाकुर जी की जय” जैसे जयकारों से माहौल को गूंजा दिया।
हर परिक्रमा के दौरान भक्तजन रथ के साथ चलते रहे, पुष्पवर्षा करते रहे और भक्ति में लीन होकर नृत्य एवं संकीर्तन करते रहे। यह दृश्य ऐसा था, मानो स्वर्ग की झलक पृथ्वी पर उतर आई हो।