
जयपुर –
राजस्थान की राजधानी जयपुर के प्रतिष्ठित महिला शिक्षण संस्थान महारानी कॉलेज में तीन मजारों के निर्माण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और तस्वीरों के बाद हिंदू संगठनों ने इसे “लैंड जिहाद” बताते हुए जमीन पर अवैध कब्जे की साजिश करार दिया है। वहीं कॉलेज प्रशासन और पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
मामला क्या है?
महारानी कॉलेज, जो 1944
में स्थापित हुआ था, जयपुर यूनिवर्सिटी के अधीन लड़कियों का सबसे बड़ा कॉलेज माना जाता है। यहां करीब 6000 छात्राएं पढ़ती हैं और चार हॉस्टलों में 500 से ज्यादा छात्राएं रहती हैं। ऐसे में कॉलेज परिसर के भीतर तीन मजारों का सामने आना हैरान करने वाला है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी कड़ी सुरक्षा और महिला केंद्रित संस्थान में धार्मिक निर्माण आखिर कैसे हो गया और किसने किया?
हिंदू संगठनों की आपत्ति: ‘लैंड जिहाद’ का आरोप
‘धरोहर बचाओ समिति’ के अध्यक्ष एडवोकेट भारत शर्मा ने पूरे मामले को एक सुनियोजित षड्यंत्र बताया है। उन्होंने कहा –
> “जहां पुरुषों का प्रवेश तक सीमित है, वहां मजारों का निर्माण क्या दर्शाता है? ये मजारें आने वाले समय में धार्मिक आयोजन का केंद्र बनेंगी और फिर वक्फ बोर्ड के तहत जमीन पर दावा किया जाएगा। यह ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ का बीज बोने जैसा है।”
भारत शर्मा ने प्रशासन से इन मजारों को तुरंत हटाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो जयपुर कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर और यूनिवर्सिटी की कुलपति को ज्ञापन सौंपकर बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।
प्रशासनिक स्थिति: प्रिंसिपल ने खुद को बताया अनजान
कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. पायल लोढ़ा ने मीडिया से बात करते हुए कहा –
“मैंने दिसंबर 2023 में ही कार्यभार संभाला है। मजारें पहले से बनी हुई हैं और मुझे इनके निर्माण के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यह एक शिक्षण संस्थान है और फोकस शिक्षा पर होना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल एडमिशन प्रक्रिया चल रही है, इसलिए मेल गार्जियन भी परिसर में आते-जाते हैं, लेकिन अभी तक किसी ने मजार को लेकर आपत्ति नहीं जताई थी।
पुलिस ने शुरू की जांच, पुराने स्टाफ से पूछताछ जारी
विवाद गहराने के बाद पुलिस हरकत में आ गई है। जानकारी के अनुसार पुलिस द्वारा कॉलेज के पुराने स्टाफ, गार्ड्स और टीचर्स से पूछताछ की जा रही है ताकि यह पता चल सके कि ये मजारें कब और किसने बनाईं।
हालांकि अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह धार्मिक ढांचा कितने समय से वहां है और इसकी शुरुआत कैसे हुई। स्थानीय लोगों और छात्रों के मुताबिक कुछ समय से लोग वहां चादरें चढ़ाने भी आ रहे हैं, जिससे विवाद ने तूल पकड़ा।
छात्राओं की सुरक्षा पर भी सवाल
कॉलेज परिसर में पहले ही सुरक्षा को लेकर चिंताएं बनी हुई थीं। बीते दिनों छात्राओं से छेड़छाड़ के कुछ मामले कॉलेज गेट के पास सामने आए थे। अब धार्मिक ढांचे के चलते और भीड़भाड़ बढ़ने की आशंका से छात्राएं और अभिभावक चिंतित हैं।
सवाल जो प्रशासन से पूछे जा रहे हैं:1.इतने सालों तक इन मजारों के निर्माण पर कॉलेज प्रशासन ने चुप्पी क्यों साधे रखी?2. क्या ये मजारें प्रशासन की जानकारी में बनीं या चोरी-छुपे?3. क्या छात्राओं की सुरक्षा और शिक्षा के माहौल पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा?4. क्या यह मामला धार्मिक और राजनीतिक रंग देकर फैलाया जा रहा है?
निष्कर्ष:
फिलहाल, कॉलेज प्रशासन से लेकर पुलिस तक इस विवाद को लेकर सक्रिय है, लेकिन स्पष्ट कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। जैसे-जैसे यह मामला सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनता जा रहा है, वैसे-वैसे यह खतरा मंडरा रहा है कि कॉलेज परिसर की गरिमा और छात्राओं की शिक्षा प्रभावित न हो जाए।
यदि समय रहते कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो यह मामला शहर की सड़कों और राज्य की राजनीति तक पहुंच सकता है। अब सबकी नजर प्रशासन और विश्वविद्यालय पर टिकी हुई है।