
राव इंद्रजीत सिंह कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं
राव इंद्रजीत सिंह कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं झुककर राजनीति” नहीं करते और उन्होंने हमेशा “सर उठा कर” राजनीति की है
गुरुग्राम, 4 जुलाई |
गुरुग्राम के मानेसर में दो दिवसीय राष्ट्रीय शहरी निकाय सम्मेलन का समापन शुक्रवार को हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के संबोधन के साथ हुआ। लेकिन समापन से पहले का एक दृश्य राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बन गया।
इस सम्मेलन में मंच पर कई दिग्गज नेता मौजूद थे — केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर, राज्यसभा के उपसभापति डॉ. हरिवंश, मध्य प्रदेश के शहरी निकाय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और गुरुग्राम के लोकसभा सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह।
मंच पर मनोहर लाल खट्टर पहले से विराजमान थे। कुछ देर बाद जैसे ही राव इंद्रजीत सिंह सम्मेलन स्थल पर पहुंचे, मंच पर उनके लिए एक कुर्सी लगाई गई। उपस्थित सभी गणमान्य नेताओं ने खड़े होकर राव साहब का अभिवादन किया, लेकिन सबसे चौंकाने वाला दृश्य तब सामने आया जब केंद्रीय मंत्री खट्टर ने न तो राव इंद्रजीत की ओर देखा, न ही हाथ मिलाया।
एक मंच, दो नेता – नजरें तक नहीं मिलीं
जहां बाकी नेता सौजन्यता दिखाते हुए राव इंद्रजीत सिंह से हाथ मिला रहे थे, वहीं खट्टर ने एक बार भी उनकी ओर दृष्टि डालना तक उचित नहीं समझा। मंच पर मौजूद कई नेताओं और गणमान्य अतिथियों के लिए यह दृश्य असहज करने वाला था। आम जनता और राजनीतिक पर्यवेक्षकों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि जब मंच पर एक ही पार्टी के केंद्रीय मंत्री आपस में संवाद तक नहीं कर रहे, तो यह संदेश कार्यकर्ताओं और जनता के बीच क्या जाएगा?
स्थानीय सांसद को मंच से बोलने का मौका तक नहीं मिला
गौर करने वाली बात यह भी रही कि सम्मेलन गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र में हो रहा था, और राव इंद्रजीत सिंह क्षेत्रीय सांसद होते हुए भी मंच से संबोधित करने का अवसर नहीं मिला। स्थानीय सांसद को स्वागत भाषण या उद्घाटन संबोधन में शामिल न करना राजनीतिक शिष्टाचार की दृष्टि से एक बड़ी चूक माना जा रहा है।
राजनीतिक दरार का पुराना इतिहास
यह कोई पहली बार नहीं है जब मनोहर लाल खट्टर और राव इंद्रजीत सिंह के बीच राजनीतिक कटुता देखने को मिली हो। दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से वैचारिक और राजनीतिक मतभेद चले आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेता एक-दूसरे को पसंद नहीं करते और सार्वजनिक मंचों पर भी यह मतभेद छिप नहीं पाते।
राव इंद्रजीत सिंह कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे “झुककर राजनीति” नहीं करते और उन्होंने हमेशा “सर उठा कर” राजनीति की है। रेवाड़ी में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में भी उन्होंने यह दोहराया था कि वे अपने उसूलों से समझौता नहीं करेंगे, चाहे कोई भी सामने हो।
दक्षिणी हरियाणा के विकास पर पड़ता असर
विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों बड़े नेताओं के इस टकराव का नुकसान सीधे तौर पर दक्षिणी हरियाणा को हो रहा है। जब एक ही पार्टी के नेता और मंत्री सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे से संवाद नहीं करते, तो सरकार की छवि और कार्यशैली पर भी सवाल उठते हैं।
क्या बदलेंगे राजनीतिक समीकरण?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में राव इंद्रजीत सिंह क्या कदम उठाते हैं। क्या वे पार्टी नेतृत्व से इस व्यवहार पर प्रतिक्रिया देंगे, या फिर कोई बड़ा राजनीतिक निर्णय लेंगे? दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में हलचल मची हुई है और जनता की नजरें अब राव साहब के अगले कदम पर टिकी हैं।