
सूत्रों के अनुसार यह फैक्ट्री दिसंबर 2023 में सैमाण रोड पर गुप्ता काटन मिल के नजदीक शुरू की गई थी। इसमें महम के दो बड़े व्यापारी भी शामिल बताए जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने खुद को कानूनी शिकंजे से बचाने के लिए एक मजदूर कर्मचारी के नाम पर फर्म रजिस्टर्ड करवा दी। वहां एक साल से अधिक काम किया गया। उसके बाद मालिक ने फैक्टरी खाली करा ली। जिस कर्मचारी के नाम मजिस्टर्ड फर्म थी। उसे भी अनहोनी का अंदेशा हो गया था। वह भी फर्म को छोडक़र चला गया। व्यापारियों ने फैक्ट्री को गुप्ता कॉटन फैक्ट्री के सामने श्मशान घाट के पीछे बनी डेयरी को किराए पर लेकर वहाँ अपना काम शुरू कर दिया और यहां उजाला नगर के रहने वाले एक युवक को ₹40000 का लालच देकर फर्म का मालिक बना दिया। दोनों व्यापारियों को मालूम था कि एक न एक दिन उन्हें फँसना ज़रूर है इसलिए उन्होने पहले ही बचाव का रास्ता चुन लिया। खुद के नाम फर्म न करवाकर काम करने वाले एक गरीब मजदूर संजय उर्फ टाडू के नाम इस फर्म को रजिस्टर्ड करवा दिया ताकि कल को कोई बात आए तो मज़दूर फसेगा। जो 8 हजार रूपए प्रति माह मजदूरी करता था, उसे 40 हजार महीना देने का लालच देकर फर्म उसी के नाम करवा दी गई। सारी लेन-देन और बैंक ट्रांजेक्शन भी उसी मजदूर के नाम पर होता था, जिससे असली मालिक बच निकलें। फैक्ट्री का मुख्य गेट चौबीसों घंटे बंद रहता था और बाहर कोई बडा साइनबोर्ड भी नहीं लगाया गया, ताकि किसी को शक न हो। रात के अंधेरे में घी के टीन लोड कर प्रदेश के विभिन्न शहरों में सप्लाई की जाती थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि फैक्ट्री की गतिविधियों को लेकर लंबे समय से चर्चा थी, लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी। कागजी दस्तावेजों में असली दोषियों का नाम नहीं होने की वजह से वो फिलहाल साफ-साफ बचते नजर आ रहे हैं। जिस व्यक्ति के खिलाफ़ शिकायत दी गई है वह बिल्कुल गरीब परिवार से तालुक रखता है। उसका परिवार मेहनत मजदूरी करके गुजर बसर करता है। लोग कह रहे हैं कि नकली घी से लाखों रुपये महम के दो व्यापारी कमा गए जबकि बेचारा मजदूर व्यक्ति फंस गया।
रिपोर्ट इनपुट:
नकली खाद्य पदार्थों पर यह बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। अब सवाल यह है कि क्या असली गुनहगारों तक प्रशासन की पहुँच हो पाएगी? स्थानीय लोग जल्द से जल्द कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। हालाँकि असली गुनहगार नीचे से ऊपर तक मामले की सैटिंग मे लग चुके हैं।