
सिद्ध, सर्वार्थसिद्धि, रवि योग — ये सभी शुभ योग आज जानलेवा कार्य व नए आरंभ हेतु बिल्कुल अनुकूल शनिवार विशेष: शनिदेव की पूजा, हनुमान चालीसा, तेलदान व गुड़दान शुभ फलदायक
-
विक्रम संवत: 2082, शक संवत: 1947
-
मास: आषाढ़ शुक्ल दशमी (21वां दिन), ऋतु वर्षा, सूर्य दक्षिणायन तिथि प्रारंभ/अंत: दशमी प्रातः 4:31 बजे से शाम लगभग 6:59 बजे तक
-
वार: शनिवार — शनिदेव को समर्पित, व्रत उत्तम
🔭 ग्रह स्थिति
-
सूर्य: मिथुन राशि
-
चंद्र: तुला राशि
-
अन्य ग्रह: मंगल (सिंह), बुध (कर्क), गुरु (मिथुन), शुक्र (वृष), शनि (मीन), राहु (कुंभ), केतु (सिंह)
🌒 नक्षत्र, योग व करण
-
नक्षत्र: स्वाति सुबह से रात 7:51 तक, फिर विशाखा
-
योग: सिद्ध योग रात 8:36 तक, फिर साध्य योग; सर्वार्थसिद्धि योग सुबह से रात तक बना रहेगा
-
करण: तैतिल से शाम तक, फिर गर (और वाणिज)
☀ शुभ-अशुभ काल
-
राहु काल: लगभग 9:00–10:30 बजे, यह समय महत्वपूर्ण कार्यों से बचें
-
चौघड़िया मुहूर्त:
-
शुभ: सुबह ~7:24–9:06, दोपहर 12:31–17:38
-
लाभ, अमृत काल आदि भी उपयुक्त
-
-
दिशा शूल: पूर्व दिशा यात्रा से बचें; यात्रा आवश्यक हो तो इम्यूनिटी के लिए अदरक–उड़द लें
🕯 विशेष योग व अनुष्ठान
-
सिद्ध, सर्वार्थसिद्धि, रवि योग — ये सभी शुभ योग आज जानलेवा कार्य व नए आरंभ हेतु बिल्कुल अनुकूल
-
शनिवार विशेष: शनिदेव की पूजा, हनुमान चालीसा, तेलदान व गुड़दान शुभ फलदायक
🌟 संक्षेप में उपयोगी सूचना
-
✅ शुभ कार्यों का सुझाव: दोपहर बाद से शाम तक (चौघड़िया शुभ व लाभ काल)
-
⏳ राहु काल से बचें: सुबह 9–10:30 बजे तक
-
🛕 शनिवार व्रत: श्री हनुमान व शनि देव की पूजा सर्वोत्तम
-
🙏 दिशा शूल: पूर्व दिशा यात्रा अवांछनीय — अदरक व उड़द का सेवन सहायक
-
🎯 शुभ योगों में (सिद्ध, सर्वार्थसिद्धि) कार्य शुरू करें: केवल या इनमें श्रेष्ठ फल की गारंटी