
4 जुलाई 2025 को लंदन में Al Jazeera को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के PPP अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो‑ज़र्दारी ने कहा कि भारत–पाकिस्तान विश्वास‑बहाली प्रक्रिया (CBM) के तहत “चिंतित व्यक्तियों” — जिनमें हाफ़िज़ सईद और मसूद अज़हर शामिल हैं — को भारत के साथ सहयोग के रूप में प्रत्यर्पित करना पाकिस्तान के लिए “कोई समस्या नहीं” है पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टी PTI ने बिलावल के बयान को “immature political child” कह कर आलोचना कर कहा कि यह पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा का अपमान है देश का अपमान: तल्हा सईद ने ट्वीट्स व सार्वजनिक बयानबाज़ी में कहा कि बिलावल का बयान पाकिस्तान को “अपमानित” करता है और देश की संप्रभुता तथा भावनात्मक एकता को चोट पहुंचाता है।
पूर्व घोषणा: इससे पहले 28 मई को कसूर, पंजाब में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में, जहां पुलिस और राजनीतिक अधिकारी मौजूद थे, तल्हा ने पाकिस्तान की विदेश नीति के पक्ष में बयान दिया कि “पाकिस्तान कभी भी सईद को भारत नहीं सौंपेगा” और पाकिस्तान आर्मी की Operation Bunyan‑al‑Marsoos की प्रशंसा की उनका समूह PMML (Milli Muslim League) एक राजनीतिक मोर्चा है और वह ही चुनाव में सक्रिय हैं।
5 मई को एक और रैली में तल्हा ने प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा था कि “कश्मीर मुस्लिमों का है और हम उसे पाकिस्तान की मुस्लिम भारत में वापस लेंगे राजनीतिक विभाजन: बिलावल के उदारवादी रुख और PTI व तल्हा जैसे कट्टरपंथी तत्वों के बीच गहराते मतभेद पाकिस्तान में दिख रहे हैं।
सैन्य‑राजनीतिक संघ: तल्हा के बयान उस कार्यक्रम में आए जिसमें पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष व सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी थी, यह संकेत देता है कि पाकिस्तान में राष्ट्रवादी रुख को अभी भी व्यापक समर्थन है ।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर: भारत सरकार लगातार सईद की प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, जबकि पाकिस्तान का कहना है कि इसके लिए कोई द्विपक्षीय संधि मौजूद नहीं । यह मामला इस बात की गवाही देता है कि पाकिस्तान में एक ओर से डायलॉग और शांति प्रस्ताव उभर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कट्टरपंथी विचारधारा सक्रिय है जो व्यापक समर्थन पा रही है। यह स्थिति क्षेत्रीय स्थिरता, भारत–पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंध और आतंकवाद‑रोधी वैश्विक प्रयासों के लिए गंभीर सवाल खड़े करती है।