
मौत की ओर दौड़ता एक्सप्रेसवे जिस रास्ते को जनता की सुविधा के लिए बनाया गया था, वह अब असुरक्षित और खतरनाक यात्रा मार्ग बन चुका है। अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो यह लापरवाही एक दिन कई ज़िंदगियों की कीमत ले सकती है।
आईएमटी सोहना, हरियाणा ,
हरियाणा का कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेसवे, जिसे सरकार ने ‘सुरक्षित, तेज़ और सुगम यात्रा’ का सपना बताकर शुरू किया था, आज उसी जनता के लिए जानलेवा बनता जा रहा है।
जहां कभी सरकार वाहवाही लूट रही थी, वहीं अब वही एक्सप्रेसवे लोगों को मौत की तरफ धकेल रहा है। एक्सप्रेसवे की हालत बद से बदतर हो चुकी है – और अब एक खतरनाक ब्रिज ने स्थिति और भयावह बना दी है।
🚨 83 नंबर ब्रिज का 20% हिस्सा टूटा, प्लाई बोर्ड से ढका गया
आईएमटी सोहना के पास गंदे नाले के पास बना 83 नंबर ब्रिज अब मौत का जाल बन चुका है। ब्रिज का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा पूरी तरह टूट चुका है, और इसे सिर्फ प्लाई बोर्ड के सहारे ढक कर मरम्मत का नाटक किया गया है।
जिस हिस्से को प्लाई बोर्ड से ढका गया है, वहां से जब भी भारी वाहन गुजरते हैं, वह हिलने लगता है। यह दृश्य देखकर साफ कहा जा सकता है कि किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह हिस्सा कई सप्ताह पहले टूट चुका था, लेकिन अब तक केवल दिखावटी रिपेयरिंग की गई है।
🛣️ सड़क नहीं, गड्ढों का जाल
केएमपी एक्सप्रेसवे पर केवल पुल ही नहीं, सड़कें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। हर तरफ गहरे गड्ढे, टूटी सड़कों और अवैध कटों का जाल बिछा है।
जहां-जहां सड़क टूटी है, वहां कोई चेतावनी बोर्ड नहीं, कोई सुरक्षा इंतज़ाम नहीं।
▶️ स्थानीय लोगों की शिकायत:
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रात के समय स्ट्रीट लाइट्स नहीं जलतीं।
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एक्सप्रेसवे के किनारे अवैध कट खुले हुए हैं।
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भारी ट्रैफिक और टूटी सड़कों की वजह से दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है।
💰 भारी भरकम टोल, लेकिन सुरक्षा नाम की कोई चीज़ नहीं
एक्सप्रेसवे पर सफर करने वाले वाहन चालकों से हर रोज़ लाखों रुपये का टोल टैक्स वसूला जाता है, लेकिन उसका इस्तेमाल सड़क मरम्मत, पुल सुधार या लाइट व्यवस्था में नहीं किया जा रहा।
टोल बूथ पर आराम से पैसा वसूला जा रहा है लेकिन उसी पैसे से यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह नाकाम हैं संबंधित
अधिकारी।
😷 प्रशासन और सरकार की चुप्पी
जब न्यू इंडिया न्यूज़ नेटवर्क की टीम ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा, तो या तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया या साफ-साफ जवाब देने से बचते रहे।
सरकार की तरफ से भी कोई औपचारिक प्रतिक्रिया या योजना सामने नहीं आई है। सवाल उठता है कि अगर कल कोई हादसा होता है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
🔎 किसकी जिम्मेदारी है?
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एक्सप्रेसवे के निर्माण की जिम्मेदार ठेकेदार कंपनी?
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टोल वसूलने वाली एजेंसी?
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सड़क एवं परिवहन मंत्रालय?
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हरियाणा राज्य सरकार या NHAI?
यह सवाल हर उस नागरिक के मन में उठ रहा है जो इस एक्सप्रेसवे से गुजरता है।
📢 जनता की मांगें:
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83 नंबर ब्रिज की तत्काल इंजीनियरिंग जांच और मरम्मत हो।
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पूरे एक्सप्रेसवे पर गड्ढों और टूटी सड़कों की मरम्मत की जाए।
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रात के समय स्ट्रीट लाइट चालू की जाएं।
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अवैध कटों को बंद किया जाए।
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टोल वसूली पर रोक लगे जब तक मरम्मत नहीं होती।
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जवाबदेही तय हो और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
📷 दृश्य बोलते हैं
हमारे कैमरे में कैद हुईं तस्वीरें इस लापरवाही की मूक गवाही देती हैं। एक तरफ सरकार ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘विकसित भारत’ की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ एक नेशनल एक्सप्रेसवे की यह हालत देश की विकास गाथा पर प्रश्नचिह्न लगा रही है।
मौत की ओर दौड़ता एक्सप्रेसवे
जिस रास्ते को जनता की सुविधा के लिए बनाया गया था, वह अब असुरक्षित और खतरनाक यात्रा मार्ग बन चुका है। अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो यह लापरवाही एक दिन कई ज़िंदगियों की कीमत ले सकती है।