
आंखों की बायोमेट्रिक तो वोटर वेरिफिकेशन में दिक्कत क्यों?"
पटना: बिहार में इन दिनों चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे वोटर वेरिफिकेशन अभियान पर अब सियासत गरमा गई है। राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब आधार कार्ड बनवाते समय लोगों की आंखों की बायोमेट्रिक, फिंगरप्रिंट और फोटो ली जाती है, तो फिर वोटर वेरिफिकेशन में परेशानी क्यों आ रही है?
तेजस्वी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह कोई राजनीतिक चाल है या फिर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने की जरूरत है? उन्होंने कहा कि यह समझ से बाहर है कि एक ही व्यक्ति की पहचान सरकार के एक दस्तावेज में मान्य मानी जाती है और दूसरे में शक किया जाता है। जब आप आधार कार्ड बनवाते हैं, तो आंखों की बायोमेट्रिक, अंगूठे के निशान और फोटो सब लेते हैं। फिर जब वही व्यक्ति वोटर वेरिफिकेशन के लिए जाता है तो क्यों कहा जाता है कि पहचान साफ नहीं है? यह कैसी दोहरी व्यवस्था है?”
तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह एक ‘छिपी हुई रणनीति’ हो सकती है, जिससे कुछ खास वर्गों के वोट प्रभावित किए जा सकें। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इस पर पारदर्शिता लानी चाहिए और जनता को बताना चाहिए कि किस आधार पर वोटर लिस्ट में संशोधन हो रहा है।
तेजस्वी ने यह दावा भी किया कि कई जिलों से शिकायतें आ रही हैं कि लोगों के नाम बिना जानकारी दिए ही वोटर लिस्ट से हटा दिए जा रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोकतंत्र के सबसे बड़े हथियार वोट की गरिमा खतरे में पड़ जाएगी। राजद के इस बयान से संकेत मिलता है कि पार्टी अब चुनावी रणनीति के तहत चुनाव आयोग की पारदर्शिता को मुद्दा बना सकती है। साथ ही विपक्ष यह सवाल उठा सकता है कि क्या यह एक वर्ग विशेष या समुदाय को प्रभावित करने की कोशिश है? तेजस्वी यादव के इस बयान ने बिहार की सियासत में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। वोटर वेरिफिकेशन को लेकर चुनाव आयोग और सरकार को अब और अधिक स्पष्टता लानी होगी, ताकि आम जनता का विश्वास कायम रह सके।