
पीने के पानी और विश्राम जैसी बुनियादी सुविधाओं की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
सोहना आईएमटी में आधी रात की कार्रवाई के दौरान उजागर हुई प्रशासनिक लापरवाही
सोहना , गुरुग्राम 8 जुलाई ,
सोहना के आईएमटी औद्योगिक क्षेत्र में आधी रात को किसानों के खिलाफ चलाए गए पुलिस अभियान के दौरान तैनात महिला पुलिसकर्मियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। धरना स्थल पर डटी महिलाओं को हटाने के लिए रात लगभग 3 बजे से सुबह तक महिला पुलिस बल बड़ी संख्या में मौजूद रहा, लेकिन उनके लिए शौचालय की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई थी।
कई महिला पुलिसकर्मी शौच के लिए नजदीकी गांवों की ओर जाती हुई देखी गईं।
रातभर ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों को जब शौच की आवश्यकता महसूस हुई, तो उन्हें इलाके में किसी भी प्रकार की टॉयलेट सुविधा नहीं मिली। ऐसे में कई महिला पुलिसकर्मी शौच के लिए नजदीकी गांवों की ओर जाती हुई देखी गईं। यह दृश्य बेहद शर्मनाक और चिंताजनक था, क्योंकि यह दर्शाता है कि मौके पर मौजूद भारी पुलिस बल के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाओं की भी व्यवस्था नहीं की गई थी।
जमीनी हकीकत इससे बिलकुल विपरीत नजर आती है।
वहीं दूसरी ओर, पुरुष पुलिसकर्मियों को भी यही परेशानी झेलनी पड़ी। कई पुरुष पुलिस कर्मचारी खुले में ही शौच करते नजर आए, जिससे यह साफ हो गया कि प्रशासन ने इस प्रकार की बड़ी कार्रवाई के लिए कोई पूर्व तैयारी नहीं की थी।
इस घटनाक्रम ने प्रशासन की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर सरकार “स्वच्छ भारत मिशन” और महिला सशक्तिकरण की बात करती है, वहीं जमीनी हकीकत इससे बिलकुल विपरीत नजर आती है। महिला पुलिसकर्मी, जो कर्तव्य पर तैनात थीं, उन्हें इस प्रकार खुले में भटकते देखना प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
स्थानीय सामाजिक संगठनों और किसान नेताओं ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि जब आधी रात को इतनी बड़ी कार्रवाई की जा सकती है, तो क्या प्रशासन के पास महिला सुरक्षाकर्मियों के लिए शौचालय जैसे बुनियादी इंतजाम करने का समय और संसाधन नहीं था?
पीने के पानी और विश्राम जैसी बुनियादी सुविधाओं की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
पुलिस विभाग की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। परंतु इस घटना ने पुलिस बल की कार्य परिस्थितियों को लेकर एक गंभीर बहस को जन्म दे दिया है — खासकर तब जब वे बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं और फिर भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहते हैं।
आने वाले समय में यदि इस प्रकार की कार्रवाई दोहराई जाती है, तो यह अनिवार्य होगा कि पुलिसकर्मियों, विशेष रूप से महिला कर्मचारियों के लिए स्वच्छता, शौचालय, पीने के पानी और विश्राम जैसी बुनियादी सुविधाओं की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।