
कई तहसीलदार और नायब तहसीलदार छुट्टी लेकर गायब
गुरुग्राम 10 जुलाई
हरियाणा में भ्रष्टाचार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई लगातार तेज़ होती जा रही है। लेकिन इसके बावजूद भी भ्रष्टाचारियों के हौसले कम नहीं हो रहे हैं। प्रदेश के राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार सबसे अधिक देखने को मिल रहा है। खासकर गुरुग्राम ज़िले की तहसीलों में इस समय एसीबी की विशेष नजर है, जहां कई तहसीलदार और नायब तहसीलदार भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त पाए गए हैं।
हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो के एडीजी आलोक मित्तल ने सभी अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, एसीबी की सक्रिय जांच और संभावित गिरफ्तारी के डर से कई तहसीलदार और नायब तहसीलदार छुट्टी लेकर गायब हो गए हैं। इनमें से कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो अब तक एसीबी की पहुंच से बाहर हैं और भूमिगत हो चुके हैं। वहीं कुछ अधिकारियों के बारे में कहा जा रहा है कि वे हरियाणा छोड़कर अन्य राज्यों में छिपे हुए हैं।
गुरुग्राम बना भ्रष्टाचार का गढ़
राजस्व विभाग के आंतरिक सूत्रों के अनुसार, गुरुग्राम की तहसीलों में सबसे अधिक भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं। लगभग हर तहसील में किसी न किसी स्तर पर रिश्वतखोरी, ज़मीन के रिकॉर्ड में हेराफेरी, और अन्य प्रशासनिक गड़बड़ियाँ सामने आ रही हैं। यही कारण है कि गुरुग्राम एसीबी की निगरानी में सबसे ऊपर है।
चार महीने से लापता है तहसीलदार
हरियाणा के तहसीलदार पिछले चार महीने से लापता हैं। उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और एसीबी ने उनकी गिरफ्तारी के लिए इनाम घोषित किया है। उनकी तलाश में एसीबी की टीम लगातार प्रयास कर रही है।
एडीजी आलोक मित्तल की अगुवाई में सख्त कार्रवाई
हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो के
एडीजी आलोक मित्तल ने सभी अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि भ्रष्टाचार प्रदेश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आलोक मित्तल की छवि एक निडर और ईमानदार अधिकारी की रही है, और उनके नेतृत्व में एसीबी ने पिछले कुछ महीनों में कई महत्वपूर्ण गिरफ्तारियाँ की हैं।
हरियाणा में लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों ने सरकार और जनता दोनों को चिंतित किया है। एंटी करप्शन ब्यूरो की सक्रियता उम्मीद की किरण जरूर है, लेकिन जब तक विभागीय सुधार और जवाबदेही की व्यवस्था मजबूत नहीं होगी, तब तक यह लड़ाई आसान नहीं होगी। फिलहाल, भूमिगत हुए राजस्व अधिकारियों की तलाश और उन पर कार्रवाई राज्य प्रशासन की प्राथमिकता बनी हुई है।