
मरीजों से मनमाने रेट वसूलने की शिकायतें अब आम हो गई हैं।
मरीजों से मनमाने रेट वसूलने की शिकायतें अब आम हो गई हैं।
गुरुग्राम, मानेसर | 19 जुलाई,
हरियाणा के गुरुग्राम जिले के अंतर्गत आने वाले मानेसर क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ा गई है। यहाँ के निजी अस्पताल और मेडिकल स्टोर, जिनका संचालन अधिकतर रिहायशी घरों में अवैध रूप से किया जा रहा है, लोगों के जीवन के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। नकली दवाइयों की बिक्री और मरीजों से मनमाने रेट वसूलने की शिकायतें अब आम हो गई हैं।
रिहायशी कॉलोनियों में चल रहे अस्पताल और मेडिकल स्टोर
मानेसर के कई मोहल्लों में ऐसे घर हैं जो अवैध रूप से अस्पतालों के रूप में तब्दील कर दिए गए हैं। इनमें न कोई मेडिकल लाइसेंस है, न ही प्रशिक्षित डॉक्टर। इन्हीं घरों में मेडिकल स्टोर भी खोले गए हैं जहाँ नकली और घटिया क्वालिटी की दवाइयां खुलेआम बेची जा रही हैं।
स्थानीय निवासी रमेश यादव बताते हैं, “यहां के अस्पतालों में इलाज के नाम पर लूट मची है। मरीजों को भारी भरकम बिल थमा दिए जाते हैं। कई परिवार तो इलाज के लिए अपने गहने तक गिरवी रखने को मजबूर हैं। बीमारी तो दूर नहीं होती, उल्टा हालत और बिगड़ जाती है।”
मनमाने दाम, नकली दवाइयां और बिना पर्ची के इलाज
ड्रग कंट्रोल नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए इन मेडिकल स्टोरों पर नशीली दवाएं और इंजेक्शन बिना डॉक्टर की पर्ची के बेचे जा रहे हैं। 100 रुपये के इंजेक्शन के लिए 700 रुपये तक वसूले जा रहे हैं और 50 रुपये की टैबलेट के 250 रुपये लिए जा रहे हैं।
यह भी देखा गया है कि कई मेडिकल स्टोरों में बिना डॉक्टर के मौजूदगी के ही मरीजों को दवा दी जा रही है। यहाँ तक कि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए भी लोग इन अवैध अस्पतालों का रुख करते हैं, जहाँ उन्हें असली दवा की जगह नकली दवा दी जाती है।
ड्रग कंट्रोल विभाग की भूमिका संदिग्ध
स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि ड्रग कंट्रोल विभाग के कुछ अधिकारी निजी अस्पतालों और मेडिकल स्टोरों से मासिक रिश्वत लेते हैं और उन्हें नियमों का उल्लंघन करने की खुली छूट दी जाती है। मेडिकल स्टोरों के साथ इन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते दवाइयां बाजार मूल्य से कई गुना अधिक कीमतों पर बेची जा रही हैं।
रामपुर चौक का प्राइवेट अस्पताल बना लूट का अड्डा
रामपुर चौक स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में मरीजों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। वहाँ ₹100 के इंजेक्शन को ₹700 में और ₹50 की गोली को ₹250 में बेचा जा रहा है। इलाज के नाम पर ऐसे फर्जी अस्पतालों में डॉक्टरों की फीस से लेकर दवाइयों तक हर चीज़ में भारी लूट चल रही है।
ग्रामीणों में बढ़ रहा आक्रोश
मानेसर और आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में इस लूटखसोट के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। दर्जनों ग्रामीणों ने हरियाणा स्वास्थ्य विभाग में शिकायत दर्ज करवाई है, लेकिन अभी तक किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल अधिकारी जानबूझकर आँख मूँदकर बैठे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री आरती राव का बयान
जब इस विषय पर हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव से बात की गई, तो उन्होंने कहा,
“हमें जानकारी दी गई है कि कई अस्पताल और मेडिकल स्टोर बिना अनुमति के चल रहे हैं। इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ड्रग कंट्रोल विभाग के अधिकारियों की भी जांच की जाएगी। अगर कोई भी अधिकारी दोषी पाया गया तो उस पर भी सख्त एक्शन लिया जाएगा।”
प्रश्न जो उठ रहे हैं:
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कब होगी अवैध अस्पतालों और मेडिकल स्टोरों पर कार्रवाई?
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नकली दवाइयों की बिक्री पर कब लगेगी रोक?
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ड्रग कंट्रोल विभाग में चल रही रिश्वतखोरी की जांच कौन करेगा?
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कब तक मानेसर के लोग इलाज के नाम पर ठगे जाते रहेंगे?
जनहित की मांग:
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सभी अवैध अस्पतालों और मेडिकल स्टोरों की तत्काल जांच और बंदी।
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स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल विभाग में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान और निलंबन।
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हर गाँव में सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मज़बूत किया जाए।
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जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को नकली दवाइयों से बचने की जानकारी दी जाए।