
दिल्ली की मुख्यमंत्री साहिबा ध्यान दें, वरना महिला कांवड़िया हो जाएगी बीमार
दिल्ली में शिविरों की अव्यवस्था पर श्रद्धालुओं का फूटा गुस्सा — महिला कांवड़ियों को खुले में शौच जाने को मजबूर
नई दिल्ली, 21 जुलाई:
सावन माह के चलते देश भर से लाखों श्रद्धालु भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य तीर्थस्थलों से कांवड़ लेकर अपने-अपने गंतव्यों की ओर बढ़ रहे हैं। इस दौरान देश भर में कई राज्यों की सरकारें श्रद्धालुओं की सेवा में शिविर लगाकर सुविधाएं दे रही हैं। लेकिन दिल्ली में स्थिति कुछ और ही तस्वीर दिखा रही है।
राजधानी दिल्ली में भाजपा की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में लगाए गए शिविरों की हालत इतनी खराब है कि श्रद्धालुओं को बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरसना पड़ रहा है। महिला कांवड़ियों को शौचालय की अनुपलब्धता के कारण खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जो न सिर्फ अपमानजनक है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है।
सेवा के नाम पर बासी खाना, बदबूदार रसोई, और पानी की किल्लत
दिल्ली के गोविंदपुरी, गली नंबर-1 और कालकाजी में लगे शिविरों में स्थिति बेहद चिंताजनक है। दिल्ली निवासी पूनम, जो हरिद्वार से कांवड़ लेकर लौटी हैं, उन्होंने बताया कि सेवा के नाम पर बासी खाना परोसा जा रहा है, रसोई में साफ-सफाई का अभाव है, और पानी के ड्रम तक खाली पड़े हैं।
कुछ बुज़ुर्ग महिला श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें अंदर बैठकर खाना खाने तक नहीं दिया जाता। उनसे कहा जाता है कि बाहर जाकर खाओ ताकि “कूड़ा ना हो।” ऐसे में महिलाएं, जिनमें बुज़ुर्ग भी हैं, न खाने का स्थान पा रही हैं, न पीने का पानी और न ही सम्मान।
उत्तर प्रदेश की सेवा व्यवस्था से तुलना
कई श्रद्धालुओं ने उत्तर प्रदेश सरकार, खासकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए बताया कि मुजफ्फरनगर जैसे इलाकों में हर जगह शिविरों में गर्म और ताजा खाना मिलता है। स्वयंसेवक श्रद्धालुओं को भोजन परोसते हैं। यूपी पुलिस के जवान कांवड़ियों के साथ पैदल चल रहे हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं।
इसके विपरीत, दिल्ली में श्रद्धालुओं को ट्रैफिक में फंसा छोड़ दिया जाता है, और दिल्ली पुलिस की ओर से कोई विशेष सुरक्षा व्यवस्था नहीं दिखाई देती।
महिलाओं की गरिमा और स्वास्थ्य खतरे में
दिल्ली के शिविरों में महिलाओं के लिए न शौचालय हैं, न सैनिटरी सुविधाएं। ऐसे में महिलाओं को मजबूरन खुले में शौच करना पड़ रहा है। यह नारी गरिमा के साथ खिलवाड़ है और स्वास्थ्य के गंभीर जोखिम भी उत्पन्न करता है।
श्रद्धालुओं का सवाल – अगर बीमार हो गए तो जिम्मेदार कौन?
कई कांवड़ियों ने कहा कि अगर बासी खाना खाने से उन्हें फूड पॉइजनिंग या अन्य कोई बीमारी हो गई, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की होगी, क्योंकि उनकी देखरेख में ये शिविर चल रहे हैं।
“दिखावा है सेवा, असल में लापरवाही”: श्रद्धालु
श्रद्धालुओं का कहना है कि दिल्ली में शिविर सिर्फ दिखावे के लिए लगाए गए हैं। ना समय पर चाय मिलती है, ना खाना, और ना ही कोई मेडिकल सुविधा। “अगर इतने खराब इंतज़ाम हैं तो शिविर मत लगाओ, कम से कम हम अपनी व्यवस्था से चल तो पाएंगे,” एक महिला श्रद्धालु ने नाराज़गी जताते हुए कहा।
क्या कहती है जनता?
“अंधेर नगरी चौपट राजा” — श्रद्धालुओं ने ये कहावत दिल्ली की व्यवस्था पर सटीक बैठाई है।
“योगी जी ने जो व्यवस्था की है, वह श्रद्धा का सम्मान है, लेकिन दिल्ली सरकार ने श्रद्धा के साथ मज़ाक किया है।”
सवाल
दिल्ली में कांवड़ यात्रा के दौरान अव्यवस्थाओं की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि श्रद्धालुओं के विश्वास को ठेस पहुँचाने वाली है।
प्रमुख सवाल:
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महिला कांवड़ियों के लिए शौचालय क्यों नहीं हैं?
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बासी और अस्वास्थ्यकर खाना क्यों परोसा जा रहा है?
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श्रद्धालुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
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क्या दिल्ली सरकार को उत्तर प्रदेश से सीख लेने की आवश्यकता नहीं है?