
कुर्सी पर टिकी नीतीश कुमार की आँख कानून व्यवस्था बिहार में हो गई राख ?
कुर्सी के बदले जनता का शोषण आखिर कब तक ?
21 साल और हजारों हत्याएं आखिर कौन है जिम्मेदार ?
बिहार में जंगलराज का महासैलाब किसकी है ये देन ?
महंगाई ,बेरोजगारी, और भ्रष्टाचार का बोल बाला ?
सत्ता बदली पार्टी बदले कई नेता आए और कई नेता गए लेकिन नहीं बदली कुछ तो वो है बिहार की तस्वीर बिहार की जनता पहले भी विकास से वंचित थी आज भी है ,21 साल हजारों हत्याएं , बेरोजगारी , विकास ,भ्रष्टाचार ये है बिहार की बदलती तस्वीर बिहार के ऐसे ;हालात का जिम्मेदार कौन ? नेता या जनता खुद ? क्या है बिहार के विकास में बाधा ? नमस्कार मैं नेहा द्विवेदी और आप देख रहें हैं न्यू इंडिया न्यूज़ नेटवर्क इन दिनों लगातार बिहार में हो रहीं हत्याएं बिहार की पुरानी तस्वीर बयान कर रही है जब हत्या बिहार वालों की नियति हुआ करती थी जहां छोटी छूती बातों पर गोलियां चल जाया करती थी लेकिन आज भी बिहार के हालात वही है बदला कुछ भी नहीं है। बिहार में हालिया हत्याओं ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं लेकिन ये हत्याएं कोई नई बात नहीं है बल्कि NCRB के आंकड़े बताते हैं कि 2001 से अब तक राज्य में 71,000 से ज्यादा हत्या के मामले दर्ज हो चुके हैं. सबसे ज्यादा हत्या 2004 में हुई थी जब 3,948 ऐसे मामले सामने आए थे. अगर हाल ही घटना की बात करें तो पांच लोग आते है और आईसीयू में घुसते हैं और धड़ धड़ गोली मारके चले आते है , इसके बाद देखा आपने की बिहार के छपरा में एक व्यापारी जो हार्डवेयर का दुकान लगाए हुए था उसकी गोली मारके हत्या ये तमाम हत्याएं बिहार की सुरक्षा और जंगलराज का पोल खोल रहीं हैं बिहार की खौफनाक तस्वीर जो की बिहार वालों को ही नहीं बल्कि देश के हर राज्य को डरा रहीं है। जहां कानून व्यवस्था चरमराई हुई है विपक्ष लगातार इस बात को उठा रहा है लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री जी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगता है उनको बस अपने कुर्सी से प्यार है। लेकिंन सवाल अब जनता से ये है की क्या इस बार भी सरकार वही आएगी या आप अपने विकास के मद्देनजर किसी और को राजगद्दी पर पंहुचाएंगे क्या नहीं बदल सकता है बिहार का समीकरण आखिर ये गुंडाराज जंगलराज बिहार की नियति में ही क्यों क्या आप सक्षम नहीं है अपनी आवाज प्रशासन तक पंहुचाने में जवाब जरूर दीजियेगा !