
भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया का आग़ाज़ हो गया है। चुनाव आयोग (ECI) ने इसकी आधिकारिक पुष्टि कर दी है
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू,
नई दिल्ली | 23 जुलाई 2025
विशेष संवाददाता
भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया का आग़ाज़ हो गया है। चुनाव आयोग (ECI) ने इसकी आधिकारिक पुष्टि कर दी है और जल्द ही चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने की संभावना है। चुनाव आयोग द्वारा रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति, इलेक्टोरल कॉलेज की समीक्षा और पिछले चुनावों की पृष्ठभूमि सामग्री तैयार की जा रही है।
इस बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी तेज़ हो गई है। विपक्षी सूत्रों ने एक नया दावा करते हुए कहा है कि धनखड़ राज्यसभा में दो हाई कोर्ट जजों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार करने जा रहे थे, और इसी दबाव के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
क्या था मामला? एक दिन में घटे कई अहम घटनाक्रम
21 जुलाई 2025 को दिनभर में जो घटनाएं घटीं, वे इस पूरे घटनाक्रम को समझने में मदद करती हैं:
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🕐 1:00 बजे – राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक बेनतीजा रही। विपक्ष ने “ऑपरेशन सिंदूर” पर चर्चा के लिए तारीखें मांगीं।
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🕑 2:20 बजे – कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उपराष्ट्रपति कार्यालय में 63 सांसदों के हस्ताक्षर वाला महाभियोग नोटिस सौंपा। दो जजों के खिलाफ नोटिस थे: जस्टिस वर्मा और जस्टिस शेखर यादव।
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🕒 3:40 बजे – जयराम रमेश ने X (पूर्व ट्विटर) पर नोटिस देने की सार्वजनिक जानकारी दी।
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🕓 4:07 बजे – धनखड़ ने राज्यसभा में कहा कि नोटिस मिल गया है। उन्होंने खुलासा किया कि शेखर यादव के खिलाफ दिए गए नोटिस में दोहरे हस्ताक्षर पाए गए हैं, बाकी की जांच चल रही है।
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🕠 4:30 बजे – BAC की दूसरी बैठक में जेपी नड्डा और किरण रिजिजू नहीं पहुंचे। उपराष्ट्रपति ने नाराज़गी जताई।
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🕔 5:00 बजे – सूत्रों के अनुसार, उपराष्ट्रपति ने एक विपक्षी सांसद को बताया कि 51 सांसदों के हस्ताक्षर वैध पाए गए हैं और नोटिस को स्वीकार किया जा सकता है। उन्होंने घोषणा अगले दिन करने की बात कही।
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🌆 7:30 बजे – जयराम रमेश ने उपराष्ट्रपति को फोन किया, लेकिन उन्होंने कहा कि वे स्वास्थ्य को लेकर चर्चा में हैं और अगली सुबह बात करेंगे।
🧩 इस्तीफे की वजह बना महाभियोग नोटिस?
विपक्षी सूत्रों का दावा है कि उपराष्ट्रपति इन नोटिसों को स्वीकार करने के लिए तैयार थे, लेकिन उन्हें ‘दबाव’ में आकर इस्तीफा देना पड़ा। जस्टिस वर्मा और जस्टिस शेखर यादव पर महाभियोग प्रस्ताव का यह कदम कई राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता था।
ध्यान देने योग्य बात यह भी रही कि उपराष्ट्रपति ने यह जानकारी लोकसभा अध्यक्ष से पहले सार्वजनिक कर दी, जिससे सत्तापक्ष असहज हो गया।
🗳️ अब क्या? चुनाव प्रक्रिया में तेजी
उपराष्ट्रपति पद खाली होने के बाद चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी है। लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग लेंगे। जल्द ही नामांकन, मतदान और मतगणना की तारीखें घोषित होंगी।
🧾 सरकारी प्रतिक्रिया अभी बाकी
इस पूरे घटनाक्रम पर सरकारी पक्ष की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन विपक्ष के दावों और घटनाक्रमों की कड़ियाँ जोड़ने पर कई सवाल उठ रहे हैं:
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क्या न्यायपालिका पर असंवैधानिक दबाव बनाया जा रहा था?
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क्या उपराष्ट्रपति का इस्तीफा संवैधानिक प्रक्रिया के तहत हुआ?
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क्या ECI को चुनाव से पहले स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए?
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया के साथ-साथ देश एक और संवैधानिक बहस के मुहाने पर खड़ा है। क्या यह सिर्फ एक इस्तीफा है या लोकतंत्र के भीतर गहराता दबाव?