
बिहार की राजनीति में एक बार फिर गर्मी बढ़ गई है। इस बार विवाद का केंद्र बने हैं नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, जिन पर दो वोटर आईडी रखने का गंभीर आरोप लग रहा है। चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए तेजस्वी को नोटिस भेजा है और विवादित EPIC कार्ड की जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
2 अगस्त 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने दावा किया कि उनका नाम बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। उन्होंने एक EPIC नंबर RAB2916120 दिखाया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने इसी आईडी से पिछले लोकसभा चुनाव में मतदान किया था। लेकिन जब इस नंबर को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सर्च किया गया, तो वह “No Records Found” दिखा।
तेजस्वी ने इस पूरे घटनाक्रम को चुनावी साजिश करार देते हुए सरकार और चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए।
आयोग की त्वरित प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव के दावे के बाद चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण जारी किया कि:
उनका वास्तविक EPIC नंबर RAB0456228 है,
यह EPIC नंबर 2015 से लेकर अब तक रिकॉर्ड में है,
और वर्तमान में वे वोटर लिस्ट में बूथ नंबर 204, सीरियल नंबर 416 पर दर्ज हैं।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि EPIC नंबर RAB2916120 किसी वैध मतदाता से संबंधित नहीं है और न ही ऐसा कोई रिकॉर्ड पिछले 10 वर्षों में पाया गया है।
3 अगस्त को तेजस्वी यादव को पटना के सदर एसडीएम की ओर से नोटिस भेजा गया, जिसमें उनसे विवादित EPIC कार्ड की मूल कॉपी और संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया है। यदि यह कार्ड फर्जी पाया जाता है, तो तेजस्वी पर:
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है,
धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने के आरोप लग सकते हैं,
और भविष्य में चुनाव लड़ने की पात्रता भी प्रभावित हो सकती है।
तेजस्वी के दावे और आयोग की प्रतिक्रिया के बाद राज्य की राजनीति में उबाल आ गया है। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि:
- तेजस्वी ने जानबूझकर दो वोटर ID रखे,
- यह सीधा चुनावी अपराध है,
- और उनके खिलाफ FIR दर्ज होनी चाहिए।
वहीं, आरजेडी का कहना है कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर डेटा बदला और EPIC नंबर को रद्द कर दिया, जो गंभीर चुनावी धांधली का मामला है।
तेजस्वी यादव के इस विवाद ने चुनावी पारदर्शिता और प्रामाणिकता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि यह EPIC नंबर फर्जी पाया गया, तो यह बिहार की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। दूसरी ओर, यदि तेजस्वी के दावे में सच्चाई है, तो चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठेंगे।
आने वाले दिनों में यह देखना रोचक होगा कि आयोग की जांच किस निष्कर्ष तक पहुँचती है और इस विवाद का राजनीतिक असर 2025 बिहार विधानसभा चुनाव पर क्या पड़ता है।