
SSC परीक्षा में लिखी गई बर्बादी की स्क्रिप्ट लाखों छात्रों का भविष्य बना मज़ाक ?
Delhi Desk : SSC परीक्षा में बर्बादी की स्क्रिप्ट लाखों छात्रों का भविष्य मज़ाक बना
देश के सबसे बड़े भर्ती बोर्डों में से एक कर्मचारी चयन आयोग (SSC) एक बार फिर विवादों के घेरे में है—और इस बार मामला केवल तकनीकी गड़बड़ियों का नहीं, बल्कि सुनियोजित लापरवाही और व्यवस्थागत असफलता का है। Selection Post Phase‑13 परीक्षा (24 जुलाई – 1 अगस्त) में जो हुआ, वह एक ‘एग्जाम’ नहीं, बल्कि भ्रष्ट, गैरजिम्मेदार और अक्षम सिस्टम का लाइव डेमो था।
आज शिक्षा भी भ्रष्टाचार के हत्थे चढ़ चुकी है जो युवा सपना संजोय थे लेकिन आज क्या हुआ उन सारे सपनों पर पानी फिर गया वो माँ बाप जो म्हणत मजदूरी करके अपने बेटे को पढ़ते हैं उनकी फ़ीस देते है वो सब इन भ्रष्ट अधिकारीयों के एक गलती से मिटटी में मिल जाता है आज हम कोई SIR , वोटर वेवरिफिकेशन का मुद्दा लेके आपके सामने नहीं आए हैं बल्कि आज बात पॉइंट TO पॉइंट शिक्षा पर करने आए है जो इस वक्त बिहार की शिक्षा प्रणाली चरमरा गई है सबसे पहले आज के एहम मुद्दे जो ज्यादा सुर्ख़ियों में है पहला अचानक से SSC परीक्षा रद्द करना दूसरा ,सर्वर क्रैश ,बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन में समस्या ,गलत परीक्षा केंद्र आवंटन, कई उम्मीदवारों को दूरदराज के केंद्रों में भेजा गया चलिए इसको जरा विस्तार से समझते है दअरसल देशभर में लाखों छात्र और शिक्षकों का गुस्सा एक बार फिर उबाल पर है (SSC) द्वारा आयोजित Selection Post Phase-13 परीक्षा (24 जुलाई से 1 अगस्त 2025) में मिसमैनेजमेंट और टेक्निकल इश्यूज के कारण चल रहा है लेकर सभी छात्र इस वक्त उग्र रूप ले चुके हैं है लेकिन प्रशासन के कान पर ज़ू तक नहीं रेंग रहा है परीक्षार्थियों का कहना है की हमारा पैसा गया मेहनत गई सब बेकार हो गया है और आखिर कब तक ये सब होता रहेगा अब इनकी मांगे क्या है ये भी आपको बता देते है
1 स्वतंत्र न्यायिक जांच इस परीक्षा में हुई गड़बड़ियों की
2 नई परीक्षा एजेंसी को हटाना, जिसे तकनीकी क्षमता नहीं थी
3 रद्द की गई परीक्षाओं की दोबारा तिथि जल्द घोषित की जाए
4 छात्रों के हुए नुकसान की भरपाई (यात्रा, किराया आदि)
5 आने वाली परीक्षाओं (जैसे CGL Tier-1) में पारदर्शिता और तकनीकी स्थिरता की गारंटी
इसमें सवाल ते है की क्या SSC जैसी संस्था भी अब केवल टेंडर पास करने और पैसों की बंदरबांट का ज़रिया बन चुकी है?
दूसरा सवाल ये है की इसकी जिम्मेदारी लेगा कौन
SSC चेयरमैन?
परीक्षा वेंडर?
कर्मचारी मंत्रालय?
या वो अधिकारी जो लाखों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ के बाद छुट्टियों पर चले गए?
जब छात्र सड़कों पर रोते हैं, तो TV कैमरा आता है। लेकिन जब सिस्टम गलती करता है, तो कोई इस्तीफा नहीं, कोई सजा नहीं।
यह सिर्फ परीक्षा नहीं, भरोसे की हत्या थी
इसमें अधिकारीयों ने कहा की SSC की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट प्रेस बयान नहीं आया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार आयोग एक “तकनीकी समीक्षा” करवा रहा है, लेकिन छात्रों को इससे संतुष्टि नहीं मिल रही। अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस हस्तक्षेप नहीं हुआ है।
तो पूरा मिलाकर हम ये बोल सकते हैं की SSC जैसी बड़ी संस्था से ऐसी तकनीकी चूक और अव्यवस्था की उम्मीद नहीं की जाती। यह सिर्फ परीक्षा नहीं, बल्कि करोड़ों युवाओं के भविष्य का सवाल है। सरकार और आयोग को इस विषय पर शीघ्र संज्ञान लेते हुए पारदर्शी और निष्पक्ष कदम उठाने चाहिए, जिससे भविष्य की परीक्षाएं बिना किसी विघ्न के संपन्न हो सकें।